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'जमीनी हकीकत जाने बिना टिप्पणी नहीं करनी चाहिए...', केरल CM और डीके शिवकुमार के बीच तीखी बहस

शिवकुमार ने पिनाराई विजयन पर तंज कसते हुए कहा कि नेताओं को जमीनी हकीकत जाने बिना टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि सीनियर नेताओं को बेंगलुरु की समस्याओं की सही जानकारी होनी चाहिए.

Anuj
Edited By: Anuj
'जमीनी हकीकत जाने बिना टिप्पणी नहीं करनी चाहिए...', केरल CM और डीके शिवकुमार के बीच तीखी बहस

नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार द्वारा बेंगलुरु में 400 से अधिक घरों को तोड़ने की कार्रवाई की गई, जिसको लेकर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है. रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्रवाई में अधिकांश प्रभावित लोग मुस्लिम समुदाय के थे, जो सर्दियों की सबसे ठंडी सुबह बेघर हो गए. यह कार्रवाई 22 दिसंबर की सुबह 4 बजे कोगिलु गांव के फकीर कॉलोनी और वसीम लेआउट में की गई. 

केरल सरकार ने की निंदा

इस कार्रवाई को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इसे कांग्रेस सरकार की अल्पसंख्यक विरोधी राजनीति बताया. अपने सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि संघ परिवार की अल्पसंख्यक विरोधी राजनीति अब कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के तहत चलाई जा रही है. उन्होंने कहा कि जब सरकार डर और जबरदस्ती से काम करती है, तो संवैधानिक मूल्य और मानवीय गरिमा सबसे पहले प्रभावित होते हैं.

केरल मंत्री का बयान

केरल के मंत्री वी शिवनकुट्टी ने इस कार्रवाई को अमानवीय बताते हुए इसे इमरजेंसी के दौर की याद दिलाने वाला कहा. उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के नाम पर सत्ता में आए हैं, वे गरीबों के घर तोड़कर अपनी नीतियों का दिखावा कर रहे हैं.

कर्नाटक सरकार का जवाब

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने पिनाराई विजयन और सीपीआई की आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि यह क्षेत्र पहले कचरा फेंकने की जगह था और लैंड माफिया इसे झुग्गी बस्ती में बदलने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा कि प्रभावित लोगों को नई जगहों पर शिफ्ट होने का समय दिया गया था और सरकार बुलडोजर का इस्तेमाल करने में विश्वास नहीं करती.

डीके शिवकुमार ने किया पलटवार

शिवकुमार ने पिनाराई विजयन पर तंज कसते हुए कहा कि नेताओं को जमीनी हकीकत जाने बिना टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि सीनियर नेताओं को बेंगलुरु की समस्याओं की सही जानकारी होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि शहर की समस्याओं को समझे बिना बाहरी नेताओं की आलोचना उचित नहीं है और झुग्गियों को बढ़ावा देकर लैंड माफिया की गतिविधियों को समर्थन नहीं दिया जा सकता.

इस विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कर्नाटक में भूमि से जुड़े मुद्दे और अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा राजनीतिक बहस का मुख्य केंद्र बन गए हैं. दोनों तरफ से बयानबाजी जारी है, लेकिन शहर के नागरिक और प्रभावित लोग ठंड और बेघर होने की चुनौती का सामना कर रहे हैं.