अरावली की पहाड़ियों में खुदाई करते हुए कुछ ऐसा मिला जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. जानकारी के अनुसार यहां पुराना खजाना बरामद किया गया है. खोज करते समय यहां पर नक्काशियां की गई पत्थर पाए गए हैं. पुरातत्वविदों के अनुसार ये नक्काशी किए गए पत्थर पाषाण युग का माना जा रहा है.
पाषाण युग में कंटीली झाड़ियां, तीखी चट्टानें और फिसलन भरे कंकड़ हुआ करते थे. पहले के जंगल बहुत घना हुआ करते थे. एक और तरह की चट्टानें यहां पर पाई गई हैं वो है पेट्रोग्लिफ्स वाली चट्टानें. ये सारी चीजें हजारों साल पहले के पाषाण युग के बारे में इशारा कर रहे हैं. यहां वो रास्ते भी मिले हैं. जान लें कि यह खोज फरीदाबाद का कोट गांव में की गई है जिसे आज भी बहुत ऐतिहासिक माना जाता है.
पुरातत्व विभाग की ओर से मीडिया को जानकारी दी गई है हमने अपनी रिसर्च को आगे बढ़ाया है वैसे वैसे कई चीजें सामने मिलती गईं. सबसे अहम कि खोज में पूरे ऐतिहासिक काल से जुड़ी निशानी मिली है. पाषाण युग में दिशाओं के बारे में जानकारी लेने के लिए किसी तरह का मैप तो होता नहीं था इसलिए उस युग में कप मार्क्स का लोग इस्तेमाल करते थे. इसे
क्यूपिल्स के नाम से जाना जाता है. कप मार्क्स जब बड़ा होता था तो उसे क्यूपिल्स और छोटे वाले को कप मार्क्स के नाम से जाना जाता था.
पुरातत्व विभाग की मानें तो गिनती करने पर इसका पैटर्न 15- 15 का होता है. जो कि हर महीने में अमावस्या और पूर्णिमा के पैटर्न के बारे में बताता है.
पुरातत्व विभाग के अनुसार यहां पर टूल्स भी बरामद किए गए हैं. अगर इन्हें छोड़ दिया जाए तो ये बेकार हो जाएंगे इनका उपयोग नहीं किया जा सकेगा. पाषाण युग में जो मानव हथियार इस्तेमाल किया जाता था वो अब तक दफन नहीं हो पाया हैं. इन्हें निकालने के बाद ही इनके सही साल का पता लगाया जा सकेगा. इसके पीछे की वजह ये हैं कि अब तक किसी ने इसे छेड़ा नहीं हैं. खोज के समय में यहां पर बड़ा मात्रा में कप मार्क्स पाए गए हैं. यहां के जितने भी पत्थर मिले हैं उनपर कप मार्क्स और क्यूपिल्स के निशान मिले हैं.
पुरातत्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अगर पहाड़ी पर और आगे शोध किया जाएगा तो यहां पर आदिमानव के हैंडप्रिंट, फुटप्रिंट और जानवरों के फुटप्रिंट भी मिल सकते हैं. जान लें कि यहां के अलग- अलग चट्टानों पर एक जैसे नहीं अलग-अलग तरह के निशान मिले हैं.