Private School Fee Regulation Bill 2025: दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को इतिहास रच दिया गया, जब चार घंटे की लंबी बहस के बाद प्राइवेट स्कूल फीस रेगुलेशन बिल 2025 बहुमत से पास हो गया. 41 वोट बिल के पक्ष में पड़े जबकि 17 वोट इसके विरोध में गए. विपक्ष की ओर से पेश किए गए 17 संशोधन प्रस्ताव भी खारिज कर दिए गए. अब यह बिल उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद कानून बनकर लागू होगा. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इसे “सिर्फ कानून नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में एक क्रांतिकारी कदम” बताया.
बिल का मकसद प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर लगाम लगाना और शिक्षा में पारदर्शिता लाना है. इसके तहत न केवल फीस बढ़ाने के लिए सख्त अनुमति प्रक्रिया लागू होगी, बल्कि अभिभावकों को ‘वीटो पावर’ भी दी जाएगी. यानी फीस वृद्धि का प्रस्ताव तभी पास होगा जब फीस निर्धारण समिति के पांच में से सभी सदस्य सहमत होंगे. यह प्रावधान दिल्ली के 18 लाख छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए राहत का बड़ा कदम माना जा रहा है.
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि अब कोई भी प्राइवेट स्कूल मनमर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकेगा. स्कूलों को फीस निर्धारण के लिए अपनी लोकेशन, सुविधाएं, संचालन खर्च और शिक्षण स्तर जैसी जानकारियां पेश करनी होंगी. इसके बाद फीस बढ़ाने से पहले सरकार की अनुमति जरूरी होगी.
बिल में स्पष्ट किया गया है कि बिना अनुमति फीस बढ़ाने पर एक लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. यदि अतिरिक्त वसूली गई रकम समय पर अभिभावकों को वापस नहीं की गई, तो जुर्माना दोगुना होगा. बार-बार नियम तोड़ने पर स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है और जरूरत पड़ने पर सरकार खुद स्कूल का संचालन संभाल लेगी.
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने विधानसभा में कहा कि इस बिल में अभिभावकों के हितों को केंद्र में रखा गया है. फीस वृद्धि पर रोक लगाने के लिए ‘वीटो पावर’ का प्रावधान किया गया है-फीस निर्धारण समिति के पांच में से केवल एक सदस्य भी सहमत न हो, तो फीस नहीं बढ़ाई जा सकेगी. यह दिल्ली के लाखों अभिभावकों को सीधा नियंत्रण देगा.
इस बिल के लागू होने से शिक्षा व्यवस्था में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है. साथ ही, यह कदम प्राइवेट स्कूलों की फीस को नियंत्रित कर मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवारों पर आर्थिक बोझ कम करेगा.