फरीदाबाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के हॉस्टल रूम से डॉ. शाहीन शाहिद के पास 18 लाख रुपये नकद बरामद किए. शाहीन को 10 नवंबर दिल्ली ब्लास्ट में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था.
बरामद की गई राशि ‘व्हाइट-कोट टेरर मॉड्यूल’ को वित्तपोषित करने के लिए इस्तेमाल की जा रही हो सकती है. एजेंसी अब इस नेटवर्क से जुड़े अन्य सहयोगियों और धन के स्रोत का पता लगाने में जुटी है.
NIA टीम ने डॉ. शाहीन को पहले प्रशासनिक ब्लॉक ले जाकर उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए लॉकर की जानकारी ली. इसके बाद टीम ने उनके हॉस्टल रूम नंबर 32 में तलाशी ली. अलमारी में छुपाई गई 18 लाख रुपये की राशि बरामद की गई. यह कदम जांच में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि यह रकम ‘व्हाइट-कोट टेरर मॉड्यूल’ के लिए वित्त पोषण के रूप में उपयोग की जा रही थी.
अधिकारियों ने बताया कि बरामद राशि का स्रोत पता लगाया जा रहा है. यह जांच की जा रही है कि क्या पैसे मॉड्यूल के नेटवर्क के जरिए चलाई जा रही गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहे थे. साथ ही, यह भी पता लगाया जा रहा है कि कौन लोग इस धन हस्तांतरण में मदद कर रहे थे. टीम ने शाहीन की यूनिवर्सिटी में गतिविधियों को भी रिकॉर्ड किया है.
NIA ने शाहीन को मेडिकल वार्ड, क्लासरूम और डॉक्टर के कैबिन तक ले जाकर उनके दैनिक रूटीन का रीकंस्ट्रक्शन किया. इस दौरान यह पता लगाने की कोशिश की गई कि उसने किन छात्रों और स्टाफ के संपर्क में रहकर नेटवर्क का विस्तार किया. सूत्रों के अनुसार, वह पढ़ाई के दौरान भी मॉड्यूल की गतिविधियों में सक्रिय थी.
डॉ. मुजम्मिल अहमद गनाई, जो इसी मॉड्यूल में शामिल थे, उन्हें फरीदाबाद लाया गया. उन्होंने दो दुकानों की पहचान कराई, जहां से उन्होंने अमोनियम नाइट्रेट खरीदा था. जांच में उनके अन्य छिपाने वाले ठिकानों की जानकारी भी मिली, जिससे अंदेशा है कि और विस्फोटक सामग्री छुपाई गई हो.
NIA और अन्य एजेंसियां इस पूरे मामले में सतर्क हैं. शाहीन और मुजम्मिल के नेटवर्क का विस्तार रोकने के लिए लगातार तलाशी और पड़ताल की जा रही है. बरामद सामग्री और धन से जुड़े अन्य सहयोगियों की पहचान करने का काम जारी है, ताकि भविष्य में कोई बड़ा सुरक्षा खतरा उत्पन्न न हो.