नई दिल्ली: दिल्ली की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है और नवंबर भर राजधानी ‘बहुत खराब’ श्रेणी की हवा में घिरी रही. इसी बीच पूर्व आईपीएस और दिल्ली बीजेपी की पूर्व सीएम उम्मीदवार किरण बेदी ने सरकारों और एजेंसियों पर जमकर सवाल उठाए हैं.
उन्होंने कहा कि शासन दूर बैठकर नहीं चल सकता, अधिकारियों को धूल-मिट्टी में उतरकर हालात समझने होंगे. बेदी ने पीएम मोदी से व्यक्तिगत हस्तक्षेप की भी अपील की है, ताकि प्रयासों में समन्वय और गति आ सके.
किरण बेदी ने एक्स पर लिखा कि दिल्ली की हवा अब सामान्य समस्या नहीं, बल्कि एक गंभीर स्वास्थ्य आपात स्थिति बन चुकी है. उन्होंने कहा कि सरकारों और अफसरों को ‘सैनिटाइज्ड’ दफ्तरों से बाहर निकलकर वही हवा सांस में लेनी चाहिए जो आम लोग झेल रहे हैं. उनके अनुसार इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि हर कदम तात्कालिक कार्रवाई के लिए बाध्य करेगा.
बेदी ने शुक्रवार को पीएम मोदी को टैग करते हुए कहा था कि वे एक बार फिर व्यक्तिगत रूप से प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेदारी उठाएं. उन्होंने याद दिलाया कि पुडुचेरी में पीएम द्वारा लिए गए प्रभावी जूम सेशन किस तरह अधिकारियों को समयबद्ध काम करने के लिए प्रेरित करते थे. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री की सक्रिय भूमिका लोगों में भरोसा पैदा कर सकती है.
उनके अनुसार NCR का प्रदूषण एक दिन का संकट नहीं, बल्कि दशकों से फैली समन्वयहीनता का नतीजा है. उन्होंने कहा कि अधिकारी रोजाना फील्ड विजिट करें, सड़क पर पैदल चलें और हालात को प्रत्यक्ष रूप से महसूस करें. बेदी के मुताबिक यही तरीका निर्णय लेने को तेज और प्रभावी बनाएगा.
दिल्ली की हवा लगातार ‘बहुत खराब’ श्रेणी में
शनिवार को भी दिल्ली का AQI 316 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है. पूरे नवंबर में राजधानी ने कई दिनों तक 400 से अधिक AQI झेला है. हालात खराब होने के बावजूद GRAP-3 की पाबंदियों में ढील देने पर भी सवाल उठे हैं. पूर्वानुमान बताता है कि अगले सप्ताह भी बड़े सुधार की उम्मीद कम है.
किरण बेदी ने एक विस्तृत जिम्मेदारी योजना साझा की जिसमें प्रत्येक एजेंसी की भूमिका तय की गई है. उनके अनुसार पर्यावरण मंत्रालय को राष्ट्रीय मानकों का सख्त पालन सुनिश्चित करना चाहिए, CAQM को NCR-भर में समान दिशानिर्देश लागू करने चाहिए और पीएमओ को सभी मंत्रालयों को एक दिशा में जोड़ना चाहिए. उन्होंने जिला मजिस्ट्रेट, नगर निकायों, पुलिस और प्रदूषण बोर्डों की फील्ड-लेवल भूमिका को भी बेहद जरूरी बताया.