नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर रविवार को प्रदूषण के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए कई प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं. सोमवार को हुई कोर्ट सुनवाई के दौरान आरोपियों ने दावा किया कि पुलिस कस्टडी में उनके साथ बदसलूकी, मारपीट और महिला प्रदर्शनकारियों के साथ छेड़छाड़ जैसी घटनाएं हुईं.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने विशेष तौर पर पुलिस की मौजूदगी के बिना आरोपियों से अकेले में बातचीत की. इस दौरान कई युवाओं ने बताया कि उन्हें हिरासत में ले जाने के बाद एक बूथ में ले जाकर पीटा गया. प्रदर्शनकारियों ने कोर्ट को अपने शरीर पर मौजूद चोट के निशान भी दिखाए.
एक आरोपी ने कहा कि पुलिस ने छाती, पीठ और पेट पर वार किए, जबकि एक अन्य महिला प्रदर्शनकारी ने दावा किया कि पुरुष पुलिसकर्मियों ने छेड़छाड़ की. कोर्ट को बताया गया कि एक प्रदर्शनकारी के मेडिकल लीगल सर्टिफिकेट (MLC) में गर्दन पर चोट दर्ज है. हालांकि पुलिस ने इसे पुरानी चोट बताया.
सुनवाई के दौरान किसी भी पत्रकार को कोर्ट रूम में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई.
प्रदर्शनों के दौरान गिरफ्तारियां मुख्य रूप से उन पोस्टरों से जुड़ी थीं जिनमें आंध्र प्रदेश में हाल ही में एनकाउंटर में मारे गए नक्सल कमांडर माडवी हिडमा के समर्थन में नारे लिखे थे. पुलिस ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने प्रदूषण के मुद्दे के बहाने नक्सलियों के समर्थन वाले नारों का इस्तेमाल किया.
डीसीपी देवेश महला भी कोर्ट में मौजूद रहे. पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारी पूरी तैयारी के साथ आए थे और उन्होंने अधिकारियों पर मिर्च या काली मिर्च पाउडर का स्प्रे किया. पुलिस के अनुसार, उन्हें कार्रवाई से पहले चार बार चेतावनी दी गई थी.
रविवार के विरोध प्रदर्शन के बाद दो एफआईआर दर्ज की गईं, एक कर्तव्य पथ पर और दूसरी पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में. इन मामलों में 11 महिलाओं समेत 17 आरोपियों को तीन दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. इन्हें अब 27 नवंबर को दोबारा कोर्ट में पेश किया जाएगा. कर्तव्य पथ मामले में गिरफ्तार छह आरोपियों में से 5 को दो दिन की न्यायिक हिरासत और एक को उम्र सत्यापन के लिए सेफ हाउस भेजा गया.
पुलिस ने कहा है कि जब्त मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की हिरासत की मांग की जाएगी. छात्रों के वकीलों ने पुलिस पर लगाया पक्षपात का आरोप
आरोपियों के वकीलों का कहना है कि गिरफ्तार युवा पढ़े-लिखे छात्र हैं जिन्होंने प्रदूषण को जल, जंगल और जमीन जैसे बड़े पर्यावरणीय मुद्दों से जोड़कर आवाज उठाई थी. उन्होंने कहा कि एफआईआर में नक्सलवाद का जिक्र तक नहीं है और पुलिस छात्रों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है.