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दिल्लीवालों को लगेगा बड़ा झटका! इस महीने दिल्ली में महंगी होगी बिजली, 7-10% बढ़ेगा दाम

Delhi Electricity Bills: मई-जून के दौरान, दिल्ली में बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) द्वारा पावर पर्चेज एडजस्टमेंट कॉस्ट (PPAC) में वृद्धि के चलते बिजली के बिलों में 7-10% तक बढ़ोतरी हो सकती है.

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Edited By: Princy Sharma
Delhi Electricity Bills
Courtesy: Pinterest

Delhi Electricity Bills: दिल्ली में बढ़ती गर्मी के बीच, अब दिल्लीवासियों को बिजली के बिलों में भी बड़ा झटका लगने वाला है. मई-जून के दौरान, दिल्ली में बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) द्वारा पावर पर्चेज एडजस्टमेंट कॉस्ट (PPAC) में वृद्धि के चलते बिजली के बिलों में 7-10% तक बढ़ोतरी हो सकती है.

PPAC वह शुल्क है जो बिजली उत्पादन कंपनियों द्वारा कोयला और गैस जैसे ईंधन के बढ़ते दामों के कारण बढ़ता है. इस अतिरिक्त लागत को डिस्कॉम्स उपभोक्ताओं से एक निर्धारित प्रतिशत के रूप में वसूल करती हैं, जो उनकी ऊर्जा खपत और फिक्स्ड चार्ज पर आधारित होता है. 

इस महीने की शुरुआत में, दिल्ली बिजली नियामक आयोग (DERC) ने तीन प्रमुख डिस्कॉम्स को 2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए PPAC की वसूली की अनुमति दी. इन कंपनियों में BSES राजधानी पावर लिमिटेड (BRPL) का PPAC 7.25%, BSES यमुना पावर लिमिटेड (BYPL) का 8.11%, और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (TPDDL) का 10.47% निर्धारित किया गया है.

फैसले की तीखी आलोचना 

हालांकि, डिस्कॉम्स ने इस वृद्धि पर अब तक कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन इस फैसले की तीखी आलोचना की गई है. यूनाइटेड रेजिडेंट्स ऑफ दिल्ली (URD), जो दिल्ली के विभिन्न रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों का समूह है, ने इस बढ़ोतरी को 'मनमाना' करार दिया है और आरोप लगाया है कि प्रक्रिया में कानूनी गड़बड़ियां हैं. URD के महासचिव सौरभ गांधी ने कहा, 'PPAC लागू करने की प्रक्रिया कानूनी रूप से गलत है और इसके लिए उपभोक्ताओं को पर्याप्त समय नहीं दिया गया था.'

URD के महासचिव ने क्या कहा? 

सौरभ गांधी ने यह भी कहा कि तीनों डिस्कॉम्स के लिए PPAC में असमान वृद्धि गलत है. उनका तर्क था कि चूंकि ईंधन शुल्क समान है, इसलिए PPAC दरों में भी समानता होनी चाहिए थी. वहीं, डिस्कॉम्स ने इस वृद्धि का बचाव करते हुए कहा कि यह DERC के नियमों के तहत की गई है और विभिन्न कंपनियों के बिलिंग चक्र और ईंधन स्रोतों में अंतर के कारण यह बढ़ोतरी अलग-अलग है. एक अधिकारी ने बताया, 'PPAC उपभोक्ताओं को बिजली खरीदने की लागत समय पर पास-थ्रू करने की सुविधा देता है, और यह एक वैधानिक प्रक्रिया है, जिसे नियामक द्वारा पारदर्शी तरीके से मंजूरी दी गई है.' अधिकारी ने यह भी चेतावनी दी कि अगर PPAC लागू नहीं किया जाता तो डिस्कॉम्स को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है, जिससे बिजली उत्पादन कंपनियों को समय पर भुगतान में समस्या हो सकती है.