आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को एआई ग्रोक के साथ X पर शिक्षा को लेकर गहन चर्चा की. यह पहला मौका था जब किसी राजनीतिक नेता ने शिक्षा पर खुली बातचीत के लिए एआई का सहारा लिया. ग्रोक ने दिल्ली के शिक्षा मॉडल की सराहना करते हुए कहा, “शिक्षा राष्ट्र निर्माण का निवेश है. सरकारी स्कूल बंद करना न्यायसंगत नहीं, इससे कोई देश प्रगति नहीं कर सकता.”
दिल्ली मॉडल: उम्मीद की किरण
सिसोदिया ने कहा, “दिल्ली का शिक्षा मॉडल कोई सरकारी स्कीम नहीं, लाखों परिवारों की उम्मीद है, जिन्होंने फिर से सपने देखना शुरू किया.” उन्होंने बताया कि दिल्ली में स्कूलों को खंडहर से विश्वस्तरीय बनाने के लिए सात स्तंभों पर काम किया गया: बुनियादी ढांचा, शिक्षक सशक्तिकरण, नवाचारी पाठ्यक्रम, स्कूल नेतृत्व, आधारभूत साक्षरता, प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता, और जवाबदेही. सिसोदिया ने आगे कहा, "‘आप’ की सरकार ने दिखाया कि अगर इच्छाशक्ति हो तो सरकारी स्कूल भी उड़ान भर सकते हैं.”
राष्ट्रीय शिक्षा नीति की चुनौतियां
ग्रोक ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का लक्ष्य जीडीपी का 6% शिक्षा पर खर्च करना है, लेकिन केंद्र सरकार केवल 4.6% खर्च कर रही है. ग्रोक ने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति में योजना और इच्छाशक्ति की कमी है. दिल्ली मॉडल जैसा केंद्रित प्रयास राष्ट्रीय स्तर पर लागू हो तो शिक्षा में बदलाव संभव है.” सिसोदिया ने सहमति जताते हुए कहा, “6 फीसद का सपना तभी हकीकत बनेगा, जब राजनीति में शिक्षा एजेंडे के पहले पन्ने पर होगी.”
राज्यों को एक-दूसरे से सीखने की जरूरत
सिसोदिया ने जोर दिया, “शिक्षा एक साझा राष्ट्रीय जिम्मेदारी है. सभी राज्यों को अहंकार छोड़कर एक-दूसरे के अच्छे मॉडलों से सीखना चाहिए.” परख 2024 सर्वे के अनुसार, पंजाब कक्षा 3, 6 और 9 में शीर्ष पर है, जबकि दिल्ली कक्षा 9 में पांचवें स्थान पर. ग्रोक ने सुझाव दिया कि राज्यों को दिल्ली के हैप्पीनेस करिकुलम और पंजाब के सुधारों से प्रेरणा लेनी चाहिए.
भविष्य की राह
सिसोदिया ने स्कूल बंद करने की नीति की आलोचना करते हुए कहा कि 2015-2022 में 1.5 लाख सरकारी स्कूल बंद हुए. ग्रोक ने सहमति जताई, “जब करोड़ों बच्चे स्कूल से बाहर हैं, स्कूल बंद करना न्यायसंगत नहीं.” सिसोदिया ने जोर देकर कहा कि दिल्ली मॉडल राष्ट्रीय नीति का हिस्सा बन सकता है, बशर्ते इच्छाशक्ति और बजट हो.