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India Daily

छत्तीसगढ़ स्कूलों में टीचर्स के लिए नया फरमान, स्कूल में आवारा कुत्तों के साथ सांप-बिच्छू न आने की लेनी होगी जिम्मेदारी

छत्तीसगढ़ में स्कूलों के प्राचार्य और हेडमास्टर अब सिर्फ पढ़ाई और प्रशासन के जिम्मेदार नहीं रहेंगे. उन्हें स्कूल परिसर में सांप, बिच्छू और अन्य जहरीले जीव-जंतुओं को रोकने की जिम्मेदारी भी दी गई है.

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Edited By: Reepu Kumari
Cg Teachers Assigned New Duties
Courtesy: GEMINI

छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में प्राचार्यों और हेडमास्टरों की जिम्मेदारियों में एक नया आयाम जुड़ गया है. अब उन्हें बच्चों की पढ़ाई और स्कूल संचालन के अलावा जहरीले जीव-जंतुओं जैसे सांप और बिच्छू को परिसर में आने से रोकने का काम भी करना होगा.इस आदेश का मकसद सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना है, जिसमें स्कूल, अस्पताल और सार्वजनिक जगहों से आवारा कुत्तों को हटाने और शेल्टर होम में रखने का आदेश शामिल था. शिक्षक इसे असंगत और जोखिमपूर्ण मान रहे हैं.

स्कूल प्राचार्य और हेडमास्टर्स इस नए आदेश से चिंतित हैं. टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि पहले कुत्तों की जिम्मेदारी दी गई थी, अब सांप-बिच्छू भी संभालना उन्हें जोखिम में डालता है. उनका कहना है कि जर्जर स्कूल भवन, बच्चों की सुरक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारियों के बीच यह नया काम उनके लिए खतरनाक और असंगत है.

DPI का जवाब

जिला शिक्षा अधिकारी विजय टांडे ने कहा कि यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है. सभी प्राचार्य और प्रधान पाठकों को इसे लागू करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षकों की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों को हटाने और उन्हें शेल्टर होम में रखने के आदेश दिए थे. DPI का नया निर्देश इसी आदेश को लागू करने की दिशा में एक कदम है.

जो जिम्मेदारी दी गई

प्राचार्यों और हेडमास्टर्स को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि स्कूल परिसर में सांप, बिच्छू, मकड़ियाँ या अन्य जहरीले जीव-जंतु न घुसें. इसके लिए उन्हें समय-समय पर स्कूल के मैदान, कक्षाओं और आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण करना होगा. इसके साथ ही बच्चों और स्टाफ को भी सुरक्षित रहने के उपाय बताने होंगे. शिक्षकों को स्कूल में साफ-सफाई, कचरा प्रबंधन और संभावित खतरे की पहचान करना आवश्यक होगा. जरूरत पड़ने पर स्थानीय अधिकारियों या विशेषज्ञों की मदद लेकर खतरे को तुरंत दूर करना होगा. इससे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और विद्यालय परिसर सुरक्षित रहेगा.

टीचर्स की सुरक्षा और चुनौती

शिक्षकों ने यह कदम जोखिमपूर्ण और चुनौतीपूर्ण बताया है. उनका कहना है कि बच्चों की पढ़ाई और प्रशासनिक कामकाज के साथ यह जिम्मेदारी जोड़ना उनके लिए कठिन होगा.