बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है. विभिन्न दलों द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए कई तरह की घोषणाएं और दावे किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में हाल ही में एक खबर ने जोर पकड़ा कि नीतीश कुमार सरकार बिहार के प्रत्येक परिवार को 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की योजना बना रही है. हालांकि, इस दावे को बिहार वित्त विभाग ने पूरी तरह खारिज कर दिया है. शनिवार, 12 जुलाई 2025 को जारी एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में विभाग ने स्पष्ट किया कि इस तरह का कोई फैसला नहीं लिया गया है.
वित्त विभाग ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "100 यूनिट मुफ्त बिजली देने की खबर पूरी तरह से आधारहीन है. सरकार ने इस संबंध में कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया है." विभाग ने जनता से अपील की कि वे केवल आधिकारिक स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर भरोसा करें और भ्रामक खबरों का प्रचार-प्रसार न करें. विभाग ने यह भी जोड़ा कि ऐसी अफवाहें समाज में भ्रम पैदा करती हैं और लोगों को गुमराह कर सकती हैं.
क्यों उठी थी मुफ्त बिजली की चर्चा?
मुफ्त बिजली की योजना की खबर को बल इस बात से मिला था कि बिहार सरकार हाल के महीनों में कई जनकल्याणकारी योजनाओं की घोषणा कर रही है. इनमें महिलाओं के लिए 35% नौकरी आरक्षण, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में वृद्धि, और अन्य कल्याणकारी योजनाएं शामिल हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा किया गया था कि ऊर्जा विभाग द्वारा तैयार एक प्रस्ताव को वित्त विभाग ने मंजूरी दे दी है और यह जल्द ही कैबिनेट में पेश किया जाएगा. इन खबरों ने यह धारणा बनाई कि नीतीश सरकार चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त बिजली जैसी बड़ी योजना ला सकती है.
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब मुफ्त बिजली का मुद्दा बिहार में चर्चा में आया है. पिछले साल 2024 में विधानसभा में ऊर्जा विभाग के बजट पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने गरीब परिवारों के लिए 200 यूनिट मुफ्त बिजली की मांग उठाई थी. तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने स्पष्ट रूप से इस मांग को खारिज करते हुए कहा था कि मुफ्त बिजली देना संभव नहीं है, क्योंकि राज्य पहले से ही बिजली पर भारी सब्सिडी दे रहा है.