Bihar Politics: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दांव-पेंच की लड़ाई भी शुरु हो चुकी है. इस बीच बुधवार को पूर्व सांसद पप्पू यादव ने चौंकाने वाला फैसला किया और न सिर्फ खुद कांग्रेस का दामन थामा बल्कि अपने राजनीतिक दल जन अधिकार पार्टी का भी विलय देश की सबसे पुरानी पार्टी में कर दिया.
जहां कुछ लोग पप्पू यादव के इस कदम को मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं तो वहीं पर कुछ राजनीतिकार इसे अस्तित्व बचाने की आखिरी कोशिश भी करार दे रहे हैं. इस बीच खबर आ रही है कि विलय के बाद कांग्रेस पप्पू यादव को बिहार की पूर्णिया सीट से चुनावी मैदान में अपना उम्मीदवार बनाकर उतार सकती है.
पूर्णिया की बात करें तो एनडीए गठबंधन में यह सीट जेडीयू के खाते में हैं और अब जब पप्पू यादव को यहां से उतारने की बात हो रही है तो मुकाबला कांग्रेस बनाम जेडीयू हो सकता है.
पप्पू यादव के कांग्रेस में शामिल होने के फैसले पर बिहार कांग्रेस प्रभारी मोहन प्रकाश और पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने बांहे फैलाकर स्वागत किया और कांग्रेस पार्टी सूत्रों ने ही इस खबर को आग दी कि उन्हें पूर्णिया सीट से चुनावी मैदान में उतारा जाएगा. वहीं अगर कांग्रेस पूर्णिया की सीट पर पप्पू यादव को उतारती है तो यहां पर उनका सामना जेडीयू की लेशी सिंह से होगा जिनका नाम नीतीश कुमार की पार्टी में इस सीट से सबसे आगे चल रहा है.
बिहार की राजनीति पर करीब से नजर रखने वालों का मानना है कि पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव और लेशी सिंह दोनों की मजबूत पकड़ हैं और जब ये दोनों धुरंधर इस सीट पर ताल ठोंकेंगे तो एक मजेदार मुकाबला देखने को मिलेगा. बता दें, 1999 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव इस सीट से निर्दलीय सासंद चुने गए थे. वहीं, लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में पूर्णिया सीट से जेडीयू की टिकट पर संतोष कुशवाहा सांसद चुने गए हैं.
लेशी सिंह की बात करें तो वो मौजूदा समय में बिहार की धमदाहा सीट से विधायक हैं और बिहार सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में मंत्री हैं. लेशी सिंह साल 2000, 2005 (फरवरी), 2010, 2015, 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में पूर्णिया के धमदाहा निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल कर चुकी हैं. वो जेडीयू के लिए धमदाहा (पूर्णिया) से 5वीं बार जीत के आने वाली विधायक हैं और आखिरी विधानसभा चुनावों में लगभग 34 हजार के भारी अंतर से जीत हासिल की थी. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा की पूर्णिया में लेशी सिंह की पकड़ बहुत मजबूत है जिसे देखते हुए उन्हें यहां से हराना किसी भी उम्मीदवार के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है.
लोकसभा चुनाव में पूर्णिया सीट की बात करें तो यहां पर वोट देने वाले 60 फीसदी वोटर्स हिंदू हैं जबकि 40 फीसदी आबादी मुस्लिम वर्ग से आते है. जहां बिहार के मुसलमानों का झुकाव नीतीश कुमार की पार्टी की जेडीयू की तरफ ज्यादा होता है तो वहीं पर बीजेपी के साथ गठबंधन के चलते इसमें कुछ गिरावट देखने को मिल सकती है. दूसरी ओर बिहार में आरजेडी और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं जिनकी राजनीति MY (मुस्लिम-यादव) वोटबैंक पर निर्भर है. ऐसे में पूर्णिया की सीट पर पप्पू यादव को मुसलमान वोटर्स का भी साथ मिल सकता है.