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कैसे चाचा पारस के चक्रव्यूह को तोड़ LJP की नई उम्मीद बने 'चिराग', जानें 3 साल में कैसे बढ़ा सियासी ग्राफ

Lok Sabha Election 2024: रामविलास पासवान के निधन और चाचा पशुपति नाथ पारस के चक्रव्यूह में फंसने के तीन साल बाद चिराग पासवान न सिर्फ LJP की नई उम्मीद बनकर उभरे बल्कि बीजेपी के साथ बेहतर संबंध स्थापित कर लिए हैं. आइए चिराग पासवान के सियासी चाल को समझते हैं.

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Lok Sabha Election 2024: लोक जनशक्ति पार्टी का गठन करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के एक साल भी पूरे नहीं हुए थे कि 'पासवान परिवार' में चाचा-भतीजे के बीच संग्राम छिड़ गया था. चाचा पशुपति नाथ पारस ने एलजेपी के छह में से पांच सांसदों को अपने साथ मिलाकर भतीजे चिराग पासवान का तख्तापलट कर दिया था.

पशुपति पारस ने संसदीय दल के नेता के पद के साथ-साथ पार्टी पर भी अपना कब्जा जमा लिया था और फिर एलजेपी में दो फाड़ हो गई. इसके बाद तीन साल बाद लोकसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान ने अपने चाचा को किनारे करते हुए बीजेपी के साथ बेहतर संबंध स्थापित कर लिए हैं.  

चाचा के चक्रव्यूह को तोड़कर उभरे चिराग

एलजेपी में दो फाड़ होने के बाद चिराग पासवान अपने चाचा पशुपति नाथ पारस के सामने आत्मसमर्पण नहीं किए बल्कि संघर्ष करने का बिगुल फूंक दिया और आज उसका अंजाम सबके सामने है. चिराग पासवान का सियासी तख्तापलट करने वाले उनके चाचा पशुपति पारस चिराग के सियासी चाल के भंवर में फंस गए हैं. चाचा पशुपति पारस के सियासी खेल से एक बेहतरीन सियासी खिलाड़ी के रूप में उभरे चिराग पासवान ने ये साबित कर दिया शह मात के खेल में बाजीगर वही साबित होता है जो एक खास रणनीति के तहत अपने मिशन को साधने में कामयाब होता है. आइए चिराग पासवान के सियासी चाल को समझते हैं.

  • चाचा पशुपति के धोखा देने के बावजूद खुद को सियासी संतुलित रखना.
  • हाजीपुर लोकसभा सीट पर अपनी दावेदारी मजबूती से पेश करना.
  • बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट को एक मिशन के रूप में लेना.
  • विधानसभा चुनाव 2020 में नीतीश कुमार पर निशाना साधना, नरेंद्र मोदी व बीजेपी पर नरम रहना.
  • NDA का साथी नहीं रहने के बावजूद भी नरेंद्र मोदी के हनुमान के रूप में खुद को प्रोजेक्ट करना.
  • तेजस्वी यादव के ऑफर पर मौन रहना और नरेंद्र मोदी के साथ बेहतर संबंध बनाए रखना.

लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर NDA में शामिल होने के साथ-साथ खुद को साबित करना और फिर लोकसभा चुनाव में 5 सीटें को अपने खाते में शामिल करवा लेना. बता दें कि चिराग पासवान ने हाजीपुर, वैशाली, जमुई, समस्तीपुर और खगड़िया लोकसभा सीट को अपने खाते में करवा लिया. चिराग पासवान का कहना है कि वो‌ 2029 की राजनीति कर रहे हैं और इसके लिए उनके पास बहुत समय है. लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले हाजीपुर सीट पर अपनी दावेदारी पेश कर चिराग पासवान ने अपने कथित राम यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंध को स्थापित करके दिखा दिया है