बिहार में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जहां मात्र 800 रुपये में स्थायी निवास प्रमाणपत्र बनाए जा रहे हैं. इसके लिए कोई औपचारिक आवेदन की जरूरत नहीं, बस वाट्सएप पर दलाल को डिटेल भेजें और चार दिन में प्रमाणपत्र तैयार. एक प्रतिष्ठित अखबार की पड़ताल में पता चला कि इस नेटवर्क का दुरुपयोग अन्य राज्यों के लोग बिहार में नौकरी और आरक्षण के लिए कर रहे हैं. खासकर बीपीएससी की शिक्षक भर्ती में फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए आरक्षण और कटऑफ में रियायत का लाभ उठाया गया.
सरकारी वेबसाइट पर सत्यापित पाया गया प्रमाणपत्र
यह गिरोह स्थायी निवास के साथ-साथ ईडब्ल्यूएस और ओबीसी (एनसीएल) प्रमाणपत्र भी बना रहा है. हमारी जांच में एक दलाल से संपर्क करने पर चार दिन में झारखंड के आधार पर बिहार का स्थायी निवास प्रमाणपत्र मिल गया. यह प्रमाणपत्र सरकारी वेबसाइट https://serviceonline.bihar.gov.in/ पर सत्यापित भी पाया गया. दलाल ने बताया, “एसडीएम स्तर का ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट साढ़े तीन से चार हजार रुपये में बन जाएगा.”
शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़ा
पड़ताल में सामने आया कि अन्य राज्यों के लोग बिहार की शिक्षक भर्ती में फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग कर रहे हैं. बांका जिले के एक शिक्षक, सुमन कुमार, के प्रमाणपत्र की जांच शुरू होने पर हमें अनजान नंबरों से कॉल आए, जिसमें मामले को दबाने की कोशिश की गई. बेलहर के बीईओ और बांका के डीईओ ने पुष्टि की, “सुमन कुमार के प्रमाणपत्र की जांच चल रही है कि वह बिहार का निवासी है या झारखंड का.” जांच रिपोर्ट अभी प्रतीक्षित है.
प्रमाणपत्र की पात्रता और दस्तावेज
स्थायी निवास प्रमाणपत्र के लिए तीन साल से बिहार में रहना, संपत्ति या मतदाता सूची में नाम, या बिहारी निवासी से विवाह जैसे मानदंड हैं. आवश्यक दस्तावेजों में आधार, बिजली-पानी का बिल, जन्म प्रमाणपत्र और संपत्ति स्वामित्व पत्र शामिल हैं.