Bihar Sita Temple: अयोध्या में राम मंदिर के बाद, उत्तर बिहार के सीतामढी जिले में मां सीता के भव्य मंदिर की तैयारी है. सीतामढ़ी को माता सीता का जन्मस्थान माना जाता है. बिहार सरकार ने माता सीता का नया मंदिर बनाने के लिए सीतामढी में मौजूदा मंदिर के आसपास 50 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने का फैसला किया है. बिहार कैबिनेट की शुक्रवार को हुई बैठक में ये फैसला लिया गया है.
बिहार के पूर्व एमएलसी और भाजपा सदस्य कामेश्वर चौपाल ने कहा कि सीता के लिए सीतामढी वही है जो राम के लिए अयोध्या है. ये हिंदुओं के लिए पवित्र भूमि है. कहा जा रहा है कि दुनिया भर से लोग अब अयोध्या में राम मंदिर में पूजा करने आएंगे और सीता की जन्मस्थली भी देखना चाहेंगे. हमारा तर्क यह है कि सीता के लिए उनके कद के अनुरूप एक भव्य मंदिर, सीतामढी में बनाया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सीतामढ़ी में एक मंदिर है जो लगभग 100 साल पहले बनाया गया था, लेकिन ये बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है. हमारा प्रस्ताव एक नया मंदिर बनाने का है जो अयोध्या में राम मंदिर जितना ही भव्य हो. कामेश्वर चौपाल वे शख्स हैं, जिन्होंने 1989 में अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास समारोह के दौरान पहली ईंट रखी थी. वे अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी भी हैं.
माता सीता मंदिर के लिए 50 एकड़ का अधिग्रहण उस 16.63 एकड़ से अलग होगा, जिसे बिहार सरकार ने मौजूदा मंदिर परिसर के आसपास के क्षेत्र विकास के लिए पहले ही अधिग्रहित किया था. मंदिर का निर्माण राम मंदिर की तरह ही एक सार्वजनिक ट्रस्ट की ओर से जुटाए गए धन से किया जाएगा. चौपाल ने कहा कि प्रस्तावित मंदिर के विवरण पर अभी भी काम किया जाना बाकी है.
उन्होंने कहा कि अभी शुरुआती दिन हैं. बिहार सरकार ने जमीन उपलब्ध कराना सुनिश्चित कर एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. अब यह हम जैसे लोगों, मौजूदा मंदिर को चलाने वाले ट्रस्ट और अन्य इच्छुक लोगों पर है कि वे इसे आगे बढ़ाएं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा कि सरकार मंदिर नहीं बना सकती, लेकिन कई ओर से ये मांग उठती रही है कि यहां एक भव्य मंदिर बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब मंदिर बनेगा, तो क्षेत्र को बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों की सेवा करने की आवश्यकता होगी. होटल और सार्वजनिक सुविधाएं जैसी सुविधाएं बनाने की आवश्यकता होगी. भूमि अधिग्रहण का निर्णय क्षेत्र में भविष्य के विकास की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है.
उन्होंने कहा कि हम राम मंदिर के निर्माण के बाद इस स्थान में अधिक रुचि देख रहे हैं. इसमें तिरूपति जैसी साइट विकसित करने की क्षमता है, और हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उस तरह के विकास के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध हो. सीतामढी, रामायण सर्किट का हिस्सा है, जो रामायण में वर्णित 15 महत्वपूर्ण स्थानों का एक समूह है, जिसे केंद्र सरकार ने धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विकास के लिए पहचाना है.
माता सीता के नए मंदिर की मांग काफी समय से हो रही है, लेकिन कुछ साल पहले अयोध्या में मंदिर का निर्माण शुरू होने के बाद से इसमें तेजी आई है. बिहार सरकार ने क्षेत्र में एक पुनर्विकास परियोजना को मंजूरी दी थी और इस साल की शुरुआत में इसके लिए 72 करोड़ रुपये मंजूर किए थे.
माता सीता के लिए नए मंदिर के लिए प्रयास करने वाले ग्रुप में शामिल सुप्रीम कोर्ट के वकील अमरेंद्र सिंह ने कहा कि ये बिहार में नीतीश कुमार सरकार का एक ऐतिहासिक निर्णय है. मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे में व्यक्तिगत रुचि ली जो क्षेत्र और बाहर के लोगों की भावनाओं के बहुत करीब है. राज्य सरकार का निर्णय एक ऐसे मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करता है जो अयोध्या में राम मंदिर के बराबर हो सकता है.