ICC World Cup 2023: 2023 क्रिकेट वर्ल्ड कप चल रहा है. इस वर्ल्ड कप में दो बड़े विवाद हुए हैं जिसने आईसीसी को नियमों पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. पहला विवाद टाइम आउट के नियम को लेकर है. इस नियम के मुताबिक, किसी बल्लेबाज के आउट होने या रिटायर होने के बाद नए बल्लेबाज को अगली गेंद के लिए 2 मिनट के अंदर तैयार रहना होता है.
6 नवंबर को खेले गए श्रीलंका और बांग्लादेश के बीच मैच में श्रीलंका के बल्लेबाज एंजेलो मैथ्यूज को टाइम आउट दिया गया. मैथ्यूज 2 मिनट के अंदर पिच पर आ गए थे, लेकिन हेलमेट के स्ट्रिप के टूटने की वजह से वह अगली गेंद के लिए तैयार नहीं रह सके और बांग्लादेशी कप्तान शाकिब अल हसन की अपील पर अंपायर ने उन्हें टाइम आउट करार दिया.
मैथ्यूज इस तरह आउट होने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी बने हैं. इसके बाद कुछ फैन्स ने शाकिब की खेल भावना पर सवाल उठाए तो कुछ ने अंपायर की कॉमनसेंस और आईसीसी के नियम पर भी सवाल उठाए. आईसीसी से इस मामले में नियम में सुधार करने की अपील की जा रही है.
दूसरा मामला ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान के मैच का है जब ग्लेन मैक्सवेल पैरों से लड़खड़ाते हुए चमत्कारी पारी खेल दी. उनकी पीठ और टांगों में ऐंठन आ चुकी थी. फिर भी उन्होंने 128 गेंदों पर 201 रनों की कालजयी पारी खेली.
मैक्सवेल भयानक दर्द से गुजरते हुए अंत तक टिके रहे. लेकिन उनको रनर नहीं दिया गया. पता चला कि रनर का नियम तो आईसीसी ने पहले ही हटा दिया है. अंत में मैक्सवेल ने खुद के शरीर को ही ताक पर रखकर अपने देश को सेमीफाइनल में पहुंचाया.
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पहले रनर के नियम के तहत प्लेइंग 11 का ही कोई खिलाड़ी पूरी बैटिंग किट के साथ घायल बल्लेबाज के शॉट्स पर रन लेने के लिए दौड़ता था. लेकिन इस नियम का कई टीमों ने गलत इस्तेमाल किया. ऐसे में आईसीसी ने 2011 में इस नियम को इंटरनेशनल क्रिकेट से हटा दिया.
यानी अब किसी को दिक्कत है तो उसे रिटायर्ट हर्ट होना पड़ेगा. रनर नहीं मिलेगा. लेकिन मैक्सवेल की पारी के बाद एक बार सबको लगता है रनर का नियम होना चाहिए था. एक्सपर्ट लोगों का सोचना है कि ये घटना क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था को इस नियम को स्थापित करने के बारे में नए सिरे से सोचने का प्लेटफॉर्म दे सकती है.
कुछ यही बात टाइम आउट के लिए कही जा रही है. एंजेलो मैथ्यूज का मामला भी संदेह से परे था. उनके हेलमेट की स्ट्रिप टूटी थी. मैक्सवेल का संघर्ष तो सबको दिख ही रहा था. ऐसे विशुद्ध मामलों के लिए आईसीसी को नियम बदलने की दरकार है.