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'मैं जिंदगी में एक बार'...बैक टू बैक गोल्ड जीतने वाले जैवलिन स्टार सुमित अंतिल ने बताया क्या है उनका सपना

Sumit Antil: पेरिस पैरालंपिक में गोल्ड जीतने वाले सुमित अंतिल मानते हैं कि अभी वो अपने पीक पर नहीं हैं. जब वो अपनी पीक पर होंगे तो भाले को 80 मीटर की लाइन पार कराना चाहते हैं. यही उनका सपना है. इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत करने की बात भी कही है.

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Sumit Antil
Courtesy: Twitter (X)

Sumit Antil: पेरिस पैरालंपिक 2024 में गोल्ड मेडल जीतने वाले स्टार जैवलिन थ्रोअर सुमित अंतिल इस वक्त चर्चा में हैं. चर्चा में इसलिए क्योंकि उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए इन गेम्स में अपना गोल्ड डिफेंड किया है. टोक्यो में हुए पिछले पैरालंपिक में सुमित ने देश को सोना दिलाया था. इस बार उन्होंने 70.59 मीटर का नया पैरालिंपिक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए मेडल अपने नाम किया. हालांकि अभी सुमित का सपना पूरा नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि वो जैवलिन में एक बार 80 मीटर दूर थ्रो फेंकना चाहते हैं.  

पेरिस में पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के एक दिन बाद सुमित अंतिल ने कहा "जब मैं अपने चरम पर होऊंगा, तो जीवन में सिर्फ एक बार 80 मीटर का आंकड़ा छूना चाहता हूं. मैं जानना चाहता हूं कि जब भाला उस दूरी को पार करता है तो कैसा महसूस होता है.'



अभी बहुत कुछ बाकी है

सुमित अंतिल का कहना है कि अभी वो शिखर पर नहीं पहुंचे हैं. अभी बहुत कुछ करना बाकी है. सुमित अंतिल ने सोमवार को स्टेड डी फ्रांस में 70.59 मीटर दूर भाला फेंककर पैरालंपिक का वर्ल्ड रिकॉर्ड सेट किया है. उनसे पहले इतनी दूर कोई भी एथलीट भाला नहीं फेंक पाया था.

अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा

सुमित ने टोक्यो 2020 में 68.55 मीटर के रिकॉर्ड थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता था. इस बार उन्होंने इस रिकॉर्ड को तीन बार पीछे छोड़ दिया. पहले थ्रो में सुमित ने 69.71 मीटर दूर भाला फेंका था. दूसरे में 70.59, तीसरे थ्रो में 66.66 मीटर दूर गया. चौथे प्रयास में फाउल हुआ. फिर पांचवें प्रायस में  69.04 का थ्रो किया. फाइनल राउंड में सुमित ने 66.57 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड पर कब्जा किया.

कौन हैं सुमित अंतिल

सुमित हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले हैं. उनका जन्म 7 जून 1998 को हुआ था. वो F64 कैटेगरी में खेलते हैं. इसमें वो एथलीट आते हैं, जिनके शरीर के निचले हिस्से में परेशानी हो. इसमें प्रोस्थेटिक के साथ खेलने वाले एथलीट्स के अलावा वो एथलीट भी शामिल होते हैं, जिनते दोनों पैरों की लंबाई में अंतर हो. साल 2015 में एक सड़क हादसे में उन्होंने अपना पैर गंवा दिया था. पहले उन्हें रेसलिंग में दिलचस्पी थी, लेकिन हादसे के बाद वो जैवलिन में उतरे और आज एक बड़ा नाम बन चुके हैं.