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India Daily

खराब फॉर्म नहीं बल्कि इस वजह से विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को कहा अलविदा, भारत के पूर्व कोच ने किया बड़ा खुलासा

Virat Kohli Test Retirement: भारत के दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को अचानक से अलविदा कह दिया था. ऐसे में भारत के पूर्व कोच ग्रेग चैपल ने कोहली के संन्यास को लेकर बड़ा खुलासा किया है.

Virat Kohli
Courtesy: Social Media

Virat Kohli Test Retirement: विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास क्रिकेट जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है. कई लोग मानते हैं कि उनकी खराब फॉर्म और बीसीसीआई द्वारा दी गई समय सीमा के कारण उन्होंने यह फैसला लिया. लेकिन भारत के पूर्व कोच और ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज क्रिकेटर ग्रेग चैपल ने इस बारे में एक नया खुलासा किया है. 

ग्रेग चैपल, जो 2005 से 2007 तक भारत के कोच रह चुके हैं, ने अपने एक कॉलम में लिखा कि कोहली का टेस्ट क्रिकेट छोड़ने का फैसला उनकी बल्लेबाजी तकनीक में कमी की वजह से नहीं था. बल्कि, 36 साल की उम्र में कोहली को यह अहसास हुआ कि उनकी मानसिक स्पष्टता अब पहले जैसी नहीं रही. 

ऑस्ट्रेलिया सीरीज में दिखी थी कमजोरी

चैपल ने कहा, "कोहली का फैसला उनकी बल्लेबाजी कौशल में कमी के कारण नहीं था. असल में, उन्हें यह समझ आया कि वह उस मानसिक तेजी को अब बरकरार नहीं रख सकते, जो उन्हें पहले एक शानदार खिलाड़ी बनाती थी.

जब दिमाग तेज और स्पष्ट नहीं होता, तो शरीर भी उसका साथ नहीं दे पाता. जब मन में संदेह घर करने लगता है, तो यह फैसले लेने की क्षमता और बल्लेबाजी के दौरान पैरों की गति को प्रभावित करता है. इससे खिलाड़ी की सहजता कम हो जाती है, जो उच्च स्तर के प्रदर्शन के लिए जरूरी है."

फॉर्म से ज्यादा दिमाग का खेल

चैपल ने अपने कॉलम में यह भी बताया कि कोहली ने यह माना कि उनकी शारीरिक फिटनेस अब पहले जैसी नहीं रही. उनके शरीर और दिमाग के बीच तालमेल में कमी आ गई थी.

चैपल ने लिखा, "फॉर्म का सवाल तकनीक से ज्यादा दिमाग से जुड़ा होता है. कोहली का संन्यास हमें यह याद दिलाता है कि उच्च स्तर पर खेलने के लिए मानसिक मजबूती सबसे जरूरी है." कोहली का यह फैसला उनके प्रशंसकों के लिए चौंकाने वाला हो सकता है, लेकिन यह उनके करियर के प्रति उनकी ईमानदारी को भी दर्शाता है.

कोहली का शानदार टेस्ट करियर

विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने से पहले भारत के लिए चौथा सबसे ज्यादा रन बनाने वाला बल्लेबाज बनने का गौरव हासिल किया. उन्होंने 123 टेस्ट मैचों में 46.85 की औसत से 9,230 रन बनाए, जिसमें 30 शतक और 31 अर्धशतक शामिल हैं.