Ajinkya Rahane: पूर्व भारतीय कप्तान अजिंक्य रहाणे ने भारतीय क्रिकेट में चयन प्रक्रिया को लेकर बड़ा बयान दिया है. उनका मानना है कि मौजूदा सेलेक्शन सिस्टम में बड़े बदलाव की जरूरत है ताकि खिलाड़ी बिना डर के मैदान पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें. रहाणे ने बीसीसीआई को सुझाव दिया है कि हाल ही में संन्यास लेने वाले खिलाड़ियों को सिलेक्टर बनाया जाए, जो आधुनिक क्रिकेट और टी20 युग को बेहतर समझते हों.
चेतेश्वर पुजारा के साथ बातचीत में रहाणे ने कहा कि खिलाड़ियों को सेलेक्टर्स से डरने की जरूरत नहीं होनी चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि सेलेक्टर्स ऐसे लोग होने चाहिए, जो पिछले 5-7 सालों में क्रिकेट से संन्यास लिए हों. उनका मानना है कि क्रिकेट का स्वरूप तेजी से बदल रहा है, खासकर टी20 और आईपीएल के दौर में. ऐसे में सिलेक्टर्स का दृष्टिकोण और सोच भी आधुनिक क्रिकेट के साथ तालमेल रखने वाली होनी चाहिए.
पुजारा के साथ अपने यूट्यब चैनल पर बात करते हुए रहाणे ने कहा, 'हमें ऐसे सेलेक्टर्स चाहिए जो हाल के समय में क्रिकेट खेल चुके हों. क्रिकेट अब पहले जैसा नहीं रहा. टी20 और आईपीएल ने खेल का अंदाज बदल दिया है. सेलेक्टर्स को यह समझना होगा कि आज के खिलाड़ी किस तरह की मानसिकता के साथ खेलते हैं.'
बीसीसीआई के मौजूदा नियमों के अनुसार, राज्य सेलेक्टर्स बनने के लिए कम से कम 10 प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाले पूर्व खिलाड़ी पात्र हैं लेकिन इसके लिए 5 साल का कूलिंग-ऑफ पीरियड अनिवार्य है. राष्ट्रीय सेलेक्शन कमेटी के लिए नियम और सख्त हैं. रहाणे का मानना है कि ये नियम पुराने हो चुके हैं और इन्हें बदलने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, 'हमें 20-30 साल पुराने क्रिकेट के आधार पर फैसले नहीं लेने चाहिए. टी20 और आईपीएल जैसे फॉर्मेट में खिलाड़ियों की शैली और दबाव अलग है. सेलेक्टर्स को सभी राज्यों से होना चाहिए ताकि खिलाड़ी बिना किसी दबाव के स्वतंत्र और निडर क्रिकेट खेल सकें.'
इस मुद्दे पर चेतेश्वर पुजारा ने कहा, 'बड़े राज्यों में इस तरह का बदलाव संभव है क्योंकि वहां कई विकल्प मौजूद हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पुराने दिग्गज क्रिकेटरों को, जिनका रिकॉर्ड शानदार है, सिलेक्टर बनने का मौका न मिले भले ही उन्होंने काफी पहले संन्यास लिया हो.'