menu-icon
India Daily

आस्था से आगे साइंस ने भी माना 'गाय' को पहली रोटी खिलाने का महत्व, जानें क्या-क्या हैं फायदे

गाय को पहली रोटी खिलाने की परंपरा आस्था के साथ साथ वैज्ञानिक रूप से भी लाभकारी मानी जा रही है. सादा और साफ भोजन गायों की सेहत, पर्यावरण और समाज तीनों के लिए उपयोगी है.

Km Jaya
Edited By: Km Jaya
First roti to a cow India daily
Courtesy: Social Media

नई दिल्ली: गाय को पहली रोटी खिलाने की परंपरा भारत में सदियों से चली आ रही है. यह परंपरा केवल आस्था और धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि विज्ञान भी इसके कई लाभ मानता है. देश के लाखों घरों में आज भी सुबह की पहली रोटी गाय के नाम पर निकाली जाती है. लोग इसे गौ सेवा और पुण्य से जोड़कर देखते हैं, लेकिन अब वैज्ञानिक शोध भी इस परंपरा की उपयोगिता को स्वीकार कर रहे हैं.

वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, जब गायों को सड़क का कचरा खाने के बजाय घर की बनी सादी और ताजी रोटी या हरा चारा मिलता है, तो उनकी सेहत में साफ सुधार देखा जाता है. फ्रंटियर्स इन वेटरनरी साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि साफ भोजन गायों की पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है. इससे दूध की गुणवत्ता में भी सुधार होता है.

भारतीय संस्कृति में गाय का क्या है महत्व?

भारतीय संस्कृति में गाय को पोषण और पवित्रता का प्रतीक माना गया है. अथर्ववेद और अन्य ग्रंथों में गाय को खिलाने को धर्म और करुणा का कार्य बताया गया है. पहले के समय में परिवार खेती, दूध और गोबर के लिए गायों पर निर्भर रहते थे. इसी कारण गाय की सेवा को जीवन का जरूरी हिस्सा माना गया. आज भी यह परंपरा इंसान और प्रकृति के रिश्ते को दर्शाती है.

गाय का सामाजिक महत्व?

आधुनिक समय में इस परंपरा का सामाजिक महत्व भी बढ़ा है. पशु कल्याण संगठनों का मानना है कि ताजी रोटी और पौष्टिक चारा देने से शहरी इलाकों में गायों का कुपोषण कम होता है. कई गौशालाएं अब लोगों से नकद दान की जगह भोजन दान करने की अपील कर रही हैं. इससे गायों को सीधा पोषण मिलता है और सेवा का सही भाव बना रहता है.

विज्ञान के अनुसार गाय जुगाली करने वाले जीव हैं, जिन्हें रेशेदार और सादा भोजन की जरूरत होती है. गेहूं की बिना नमक और तेल की रोटी उनके पाचन के लिए फायदेमंद मानी जाती है. वहीं नमक, तेल, मसाले या प्लास्टिक में दिया गया भोजन उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है. गलत भोजन से गायों में गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं.

पर्यावरण के लिहाज क्यों है उपयोगी?

पर्यावरण के लिहाज से भी यह परंपरा उपयोगी है. जब गायों को सही समय पर भरपेट भोजन मिलता है, तो वे कचरे के ढेर में नहीं जातीं. इससे प्लास्टिक खाने का खतरा कम होता है और शहरों में गंदगी भी घटती है. स्वस्थ गाय से मिलने वाला गोबर जैविक खाद और ईंधन के रूप में काम आता है, जो खेती और पर्यावरण दोनों के लिए लाभदायक है.

गाय को रोटी खिलाते समय कुछ सावधानियां जरूरी हैं. हमेशा सादी रोटी दें, नमक और तेल से बचें. सड़क किनारे भोजन न कराएं ताकि दुर्घटना का खतरा न हो. संभव हो तो गौशालाओं के माध्यम से रोटी दान करें.