अलसी के बीज देखने में साधारण लगते हैं, लेकिन इनके पोषक गुण असाधारण हैं. सदियों से मध्य पूर्व सहित कई क्षेत्रों में इन्हें ऊर्जा और पोषण का स्रोत माना जाता रहा है.
आज आधुनिक पोषण विज्ञान ने यह साफ कर दिया है कि अलसी के बीज पाचन सुधारने, हृदय को स्वस्थ रखने और शरीर को जरूरी फैटी एसिड देने में अहम भूमिका निभाते हैं. फर्क बस इतना है कि अब हम जानते हैं कि इन्हें कैसे और किस रूप में खाना सबसे फायदेमंद है.
बाजार में अलसी के बीज साबुत, पिसे हुए, भुने या तेल के रूप में मिलते हैं. लेकिन इनका रूप बेहद मायने रखता है. साबुत अलसी के बीज अक्सर बिना पचे ही शरीर से बाहर निकल जाते हैं. वहीं, पिसी हुई अलसी का सेवन करने पर शरीर इसके अंदर मौजूद पोषक तत्वों, खासकर स्वस्थ वसा, को बेहतर तरीके से अवशोषित कर पाता है. इसलिए विशेषज्ञ पिसी हुई अलसी को अधिक उपयोगी मानते हैं.
हेल्थलाइन के अनुसार, अलसी के बीजों में मुख्य रूप से वसा होता है, इसके बाद कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन आते हैं. एक चम्मच अलसी में लगभग 55 कैलोरी होती हैं, जिससे यह भोजन में आसानी से शामिल की जा सकती है. खास बात यह है कि इसके कार्बोहाइड्रेट का बड़ा हिस्सा फाइबर से आता है, न कि चीनी या स्टार्च से. यही कारण है कि अलसी को पाचन के लिए फायदेमंद माना जाता है.
अलसी के बीजों में घुलनशील और अघुलनशील, दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं. घुलनशील फाइबर पानी के संपर्क में आकर जेल जैसा बनता है, जिससे पाचन धीमा होता है और ब्लड शुगर संतुलित रहती है. वहीं अघुलनशील फाइबर मल को भारी बनाकर आंतों की सफाई में मदद करता है. दोनों मिलकर कब्ज से राहत और नियमित पाचन में अहम भूमिका निभाते हैं.
अलसी के बीज पौधों से मिलने वाला अच्छा प्रोटीन भी देते हैं, हालांकि इनमें लाइसिन की मात्रा कम होती है. इनका सबसे बड़ा गुण इनमें मौजूद अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA) है, जो एक ओमेगा-3 फैटी एसिड है. अलसी इसके सबसे समृद्ध शाकाहारी स्रोतों में से एक है. साथ ही इनमें ओमेगा-6 और ओमेगा-3 का संतुलन बेहतर होता है, जो सूजन कम करने में मदद कर सकता है.
शोध बताते हैं कि अलसी का नियमित सेवन पाचन सुधारने, कोलेस्ट्रॉल कम करने और हृदय रोग व टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम को घटाने में सहायक हो सकता है. इनमें मौजूद लिगनैन नामक एंटीऑक्सिडेंट कुछ कैंसर से सुरक्षा में भी भूमिका निभा सकते हैं. रोजमर्रा की जिंदगी में पिसी हुई अलसी को दही, स्मूदी, दलिया या आटे में मिलाकर आसानी से शामिल किया जा सकता है.
नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. किसी भी स्वास्थ्य समस्या या आहार परिवर्तन से पहले डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.