Heart Attack: महामारी कोविड-19 के बाद से दुनिया में दिल के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है. युवाओं में भी कार्डियक अरेस्ट के मामले बढ़ें हैं. ये किसी एक पर्टिकुलर इंसान की समस्या नहीं है. हार्ट अटैक किसी को कभी भी कहीं भी आ सकता है. आजकल का खान-पान भी कार्डियक अरेस्ट का मुख्य कारण माना जाता है. हम हाई कोलेस्ट्रॉल फूड्स का सेवन अधिक मात्रा में कर रहे हैं जिसके चलते हार्ट अटैक की समस्या बढ़ रही है.
एम्स के एनस्थेसिया विभाग के प्रोफेसर और इंडियन रिससिटेशन सोसाइटी के सेक्रेटरी डॉक्टर राकेश गर्ग की मानें तो अगर प्रत्येक घर में कोई एक व्यक्ति सीपीआर (CPR) सीख ले तो दिल का दौरा पड़ने की वजह से होने वाली मौतें 60 फीसदी तक कम हो सकती हैं.
डॉक्टर राकेश गर्ग ने बताया कि उन्होंने दिल का दौरा पड़ने के चलते हुई मौत के बारे में जाना और यह जानकारी जुटाई कि कितने मरीजों को अस्पताल लाने से पहले सीपीआर दिया जाता है. उनके अनुसार 3 हजार में सिर्फ 2 से 9 प्रतिशत लोगों को ही हॉस्पिटल लाने से पहले सीपीआर दिया जाता है. अगर लोगों को सीपीआर की जानकारी हो जाए तो हजारों लोगों को बचाया जा सकता है.
बहुत से लोगों को सीपीआर के बारे में नहीं पता होता है. इसका फुल फॉर्म कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (cardiopulmonary resuscitation) होता है. CPR एक ऐसी आपातकालीन प्रक्रिया है जिसे उस इंसान को दी जाती है जिस व्यक्ति की सांस चलना बंद हो जाएं, जिसे दिल का दौर पड़ा हो और वह बेहोश हो गया हो. इस दौरान अगर उस व्यक्ति को सीपीआर दिया जाए तो उसके बचने की उम्मीद 60 फीसदी तक बढ़ सकती है.
किसी इंसान का हार्ट बीट बंद हो जाए यानी दिल धड़कना बंद हो जाए तो उसे तो कार्डियक अरेस्ट कहते हैं. इस दौरान ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है. अगर समय पर इंसान को इलाज न मिले तो मिनट भर में उसकी मौत हो सकती है.
अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट की मानें तो कार्डियक अरेस्ट के दौरान 10 में से 9 लोगों की मौत CPR न देने की वजह से हो जाती है. अगर मरीज को मरीज को कार्डियक अरेस्ट आने के कुछ मिनटों में सीपीआर दे दिया जाए तो उसकी जान बचने की संभावना 2 से 3 गुना बढ़ जाती है.
सीपीआर देना कठिन काम नहीं है. अगर आप थोड़ी सी भी जानकारी रखते हैं तो आप उस इंसान की जान बचा सकते हैं जिसे कार्डियक अरेस्ट आया है. इस CPR की प्रक्रिया में अपने दोनों हाथों को छाती के मध्य रखना होता है. अब इस दौरान आपको एक मिनट में कम से कम 100 से 120 बार छाती को पुश करना है.
पुश करते समय मरीज की छाती 2 इंच तक दबनी चाहिए. प्रत्येक पुश के बाद छाती को वापस सामान्य स्थिति में आने दें. इस दौरान जल्द से जल्द एंबुलेंस बुलाकर मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की कोशिश करें. जब तक आप अस्पताल नहीं पहुंच जाते तब तक सीपीआर देते रहें.
Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.ध्यान रहें कि अगर किसी भी इंसान को दिल का दौरा पडा है और उसकी सांसे चल रही है तो उस समय सीपीआर नहीं दिया जाता. दिल की धड़कन बंद होने पर ही CPR दिया जाता है.
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