भारत में बिंदी सिर्फ एक सौंदर्य प्रसाधन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रतीक मानी जाती है. विवाहित महिलाओं की पहचान से लेकर धार्मिक आस्था तक, बिंदी का इस्तेमाल विभिन्न अर्थों और अवसरों में किया जाता है. जहां लाल बिंदी को सौभाग्य और शुभता का प्रतीक माना जाता है, वहीं काली बिंदी को लेकर एक खास मान्यता प्रचलित है विशेष रूप से कुंवारी लड़कियों के लिए. लोकमान्यता के अनुसार, अविवाहित युवतियों को काली बिंदी लगाने से बचना चाहिए क्योंकि यह उनके वैवाहिक जीवन में बाधा उत्पन्न कर सकती है.
ग्रामीण इलाकों और कुछ पारंपरिक परिवारों में यह धारणा बहुत प्रचलित है कि काली बिंदी लगाने से शादी में विलंब हो सकता है, यहां तक कि अधेड़ उम्र तक लड़का नहीं मिलता. हालांकि यह वैज्ञानिक तथ्य नहीं है, फिर भी सांस्कृतिक मान्यताओं और धार्मिक आस्थाओं के चलते लोग आज भी इसे गंभीरता से लेते हैं.
यहां हम जानेंगे कि इस मान्यता की जड़ें कहां हैं, इसका धार्मिक और सामाजिक महत्व क्या है, और क्या वाकई में काली बिंदी से शादी में रुकावट आती है या यह केवल एक परंपरागत सोच है?
मान्यता है कि काले रंग का संबंध नकारात्मक ऊर्जा और शनि ग्रह से होता है. काली बिंदी लगाने से नकारात्मक शक्तियां आकर्षित होती हैं, जिससे लड़की के जीवन में अस्थिरता आ सकती है.
ग्रामीण समाज में ऐसा माना जाता है कि काली बिंदी लगाने से लड़की के भाग्य में विवाह की बाधा आ जाती है. ऐसी लड़कियों के लिए योग्य वर ढूंढना मुश्किल हो जाता है.
आधुनिक विज्ञान ऐसे किसी भी प्रभाव को नकारता है. यह केवल एक सामाजिक विश्वास है, जिसका सीधा असर मानसिकता पर पड़ता है.
नोट: ये जानकारी अलग-अलग मान्यताओं पर आधारित है. इसकी पुष्टि हमारा चैनल इंडिया डेली नहीं करता है.