menu-icon
India Daily

दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर दुनिया की नजर: कौन होगा अगला दलाई लामा? क्यों है यह चीन के लिए महत्वपूर्ण

लोग अनुमान लगा रहे हैं कि दलाई लामा इस दिन अपने उत्तराधिकारी की घोषणा कर सकते हैं. यह मामला न केवल धार्मिक, बल्कि राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन दावा करता है कि वह अगले दलाई लामा का चयन करेगा, जबकि तिब्बती बौद्ध इसका विरोध करते हैं.

auth-image
Edited By: Sagar Bhardwaj
Why is China keeping an eye on Dalai Lamas 90th birthday

6 जुलाई 2025 को तिब्बती आध्यात्मिक नेता, 14वें दलाई लामा, 90 साल के हो जाएंगे. इस खास मौके पर हर किसी की नजर इस बात पर है कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा. लोग अनुमान लगा रहे हैं कि दलाई लामा इस दिन अपने उत्तराधिकारी की घोषणा कर सकते हैं. यह मामला न केवल धार्मिक, बल्कि राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन दावा करता है कि वह अगले दलाई लामा का चयन करेगा, जबकि तिब्बती बौद्ध इसका विरोध करते हैं.

उत्तराधिकार की प्रक्रिया

तिब्बती बौद्ध धर्म में, दलाई लामा को पिछले जन्म के आध्यात्मिक गुरु की पुनर्जनन माना जाता है. उनके निधन के बाद, वरिष्ठ लामा और भिक्षु सपनों, दृश्यों या असामान्य संकेतों के आधार पर नए दलाई लामा की खोज करते हैं. वे तिब्बत और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में उन बच्चों की तलाश करते हैं, जो पिछले दलाई लामा के निधन के समय पैदा हुए हों.

 बच्चे को पिछले दलाई लामा की वस्तुओं को पहचानने का परीक्षण दिया जाता है. यदि बच्चा सही वस्तुएं चुनता है और असाधारण बुद्धिमत्ता दिखाता है, तो उसे पुनर्जनन माना जाता है.

14वें दलाई लामा, ल्हामो धोंदुप, को दो साल की उम्र में इसी तरह चुना गया था. जब उन्होंने 13वें दलाई लामा की वस्तुओं को देखकर कहा, “यह मेरा है, मेरा है,” तो भिक्षुओं को यकीन हो गया. 

दलाई लामा बनाम चीन

14वें दलाई लामा ने साफ कहा है कि उनके पुनर्जनन का फैसला वे स्वयं करेंगे, न कि चीन. उन्होंने कहा, “चीनी कम्युनिस्ट, जो धर्म को नहीं मानते, उनका लामाओं के पुनर्जनन में दखल देना अनुचित है.” वे चाहते हैं कि उनका उत्तराधिकारी भारत जैसे स्वतंत्र देश में पैदा हो, न कि चीन में. 1959 से वे भारत में निर्वासन में रह रहे हैं. 

चीन का दावा

चीन का कहना है कि उसे अगले दलाई लामा को चुनने का अधिकार है. वह ‘गोल्डन अर्न’ रस्म का हवाला देता है, जो 1793 में शुरू हुई थी. चीन का कहना है कि अगला दलाई लामा उसके क्षेत्र में पैदा होना चाहिए लेकिन तिब्बती बौद्ध समुदाय इसे मानने से इनकार करता है.

भारत और विश्व की भूमिका

भारत में 1 लाख से अधिक तिब्बती निर्वासित रहते हैं. दलाई लामा की मौजूदगी भारत को चीन के खिलाफ रणनीतिक लाभ देती है. अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने भी कहा है कि वे चीन द्वारा चुने गए दलाई लामा को नहीं मानेंगे.