इस साल आसमान में एक अजीबोगरीब देखने को मिलने वाली है. साल 2006 के बाद से यह अपने तरह की पहली और बड़ी खगोलीय घटना होगी. इसे Lunar Standstill कहते हैं. इसका मतलब यह है कि चांद सबसे ज्यादा दूरी से उदय और अस्त होगा. इन दोनों ही प्राकृतिक घटनाओं के बीच का समय बढ़ जाएगा. इस दौरान यह आसमान में सबसे ऊंचे और सबसे निचले प्वाइंट पर भी जाएगा. 8 अप्रैल को सूर्य ग्रहण लगने के बाद अंतरिक्ष में दुनियाभर को नॉर्दन लाइट्स यानी अरोरा बोरियेलिस दिखाई दिए थे.
अब साल 2006 के बाद आसमान की ओर ध्यान लगाए वैज्ञानिकों को स्टडी करने का एक बेहतरीन मौका मिल रहा है. जब चंद्रमा क्षितिज पर सबसे दूर उत्तरी इलाके में उदय होगा और सबसे दूर दक्षिणी इलाके में अस्त होगा.
बता दें कि चंद्रमा हर 18.6 साल के बाद अपने सबसे ऊंचे और निचले प्वाइंट पर पहुंचता है. असल में 18.6 चंद्रमा के घुमाव का एक समय चक्र है. इसकी वजह ये है कि सूरज की तरह चंद्रमा एक ही रास्ता नहीं निहारता. अगर आप गौर से क्षितिज पर चंद्रमा के उगने और अस्त होने की पोजिशन देखेंगे तो आप पाएंगे कि यह लगातार बदलती रहती है.
सौर मंडल जब फ्लैट महसूस होता है तो उस समय सभी ग्रह सूर्य के साथ ही प्लेन में रहते हैं. जिसे एकिलीप्टिक कहा जाता है. धरती अपनी धुरी पर 23.4 डिग्री झुकी हुई है जबकि एकिलीप्टिक की स्थिति में ऐसा नहीं माना जाता है. यही कारण है कि सूरज के उगने और डूबने का कोण 47 डिग्री होता है.
जैसा कि हम सभी जानते हैं चंद्रमा का जो ऑर्बिट है वो 5.1 डिग्री झुका हुआ है. इसलिए यह हर महीने 57 डिग्री की रेंज में उगता और अस्त होता है, चंद्रमा अक्सर क्षितिज पर अलग-अलग जगह से उगता और अस्त होता है लेकिन यह काम सूरज नहीं कर सकता है.
ये अद्भुत नजारा इसी साल यानी 2024 के सितंबर महीने से अगले साल 2025 के मार्च के बीच देखने को मिलेगा. हालांकि, इस नजारे का आनंद आप तभी ले सकते हैं जब आपके यहां आसमान पूरा साफ रहे यानी बादल की कोई गुंजाइश ना हो. तब आप इस खगोलीय नजारे का भरपूर आनंद उठा सकते हैं.