नई दिल्ली: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को उस समय जोरदार झटका लगा जब उनके सबसे भरोसेमंद और ताकतवर सलाहकार आंद्री यरमक को भ्रष्टाचार की जांच के दबाव में इस्तीफा देना पड़ा.
यरमक लंबे समय से जेलेंस्की के सबसे करीबी सहयोगी माने जाते थे और रूस से चल रहे युद्ध के दौरान देश की विदेश नीति व कूटनीति को लगभग अकेले संभाल रहे थे.
यूक्रेन की दो बड़ी भ्रष्टाचार रोधी एजेंसियों नेशनल एंटी करप्शन ब्यूरो (NABU) और स्पेशलाइज्ड एंटीकरप्शन प्रॉसिक्यूटर ऑफिस (SAPO) ने ऊर्जा क्षेत्र में करीब 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर (लगभग 850 करोड़ रुपये) के कथित घोटाले की जांच शुरू की है.
इसी जांच के सिलसिले में यरमक के कीव स्थित घर और दफ्तर पर छापेमारी हुई. हालांकि यरमक पर अभी तक कोई औपचारिक आरोप नहीं लगा है लेकिन इतने बड़े स्तर की कार्रवाई के बाद उनके लिए पद पर बने रहना असंभव हो गया.
यरमक ने खुद टेलीग्राम पर लिखा, "जांच एजेंसियों को पूरा सहयोग दिया जा रहा है. मेरे वकील मौजूद हैं और किसी तरह की रुकावट नहीं डाली गई." हालांकि, राजनीतिक दबाव इतना बढ़ गया कि जेलेंस्की को उन्हें पद से हटाना पड़ा.
शुक्रवार देर रात राष्ट्र के नाम संबोधन में जेलेंस्की ने कहा, "हम युद्ध लड़ रहे हैं. इस समय देश को एकजुटता की सबसे ज्यादा जरूरत है. रूस बस यही चाहता है कि हम आपस में लड़ें और कमजोर पड़ जाएं. हम ऐसा होने नहीं देंगे." उन्होंने बताया कि शनिवार से ही नए चीफ ऑफ स्टाफ की तलाश शुरू हो जाएगी.
यह घटना ऐसे समय हुई है जब अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने की नई पहल कर रहे हैं. यरमक इसी टीम के प्रमुख सदस्य थे और अमेरिकी अधिकारियों से सीधी बातचीत कर रहे थे.
उनकी विदाई से यूक्रेन की कूटनीतिक स्थिति कमजोर पड़ सकती है क्योंकि ट्रंप प्रशासन की प्रस्तावित शांति योजना को कीव पहले से ही रूस के पक्ष में झुकी हुई मान रहा था. अब यूक्रेन अपने यूरोपीय सहयोगियों के साथ मिलकर उस योजना में बदलाव करवाने की कोशिश कर रहा है.
युद्ध के बावजूद यूक्रेन में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई रुक नहीं रही है. पश्चिमी देश लगातार दबाव डाल रहे हैं कि यूक्रेन भ्रष्टाचार पर काबू पाए ताकि अरबों डॉलर की सैन्य और आर्थिक मदद जारी रहे.
पिछले दो साल में कई मंत्री, उपमंत्री और बड़े अधिकारी या तो बर्खास्त हुए हैं या जांच के दायरे में आए हैं. यरमक का मामला इसलिए सबसे बड़ा झटका है क्योंकि वे राष्ट्रपति के सबसे नजदीकी व्यक्ति थे.