नई दिल्ली: बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा तूफान खड़ा हो गया है क्योंकि एक नई जांच पैनल ने दावा किया है कि वर्ष 2009 में ढाका और देशभर में फैली बांग्लादेश राइफल्स विद्रोह शेख हसीना के आदेश पर की गई थी. इस विद्रोह में दो दिनों के भीतर 74 लोगों की हत्या हुई थी जिनमें कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल थे. यह घटना हसीना की सत्ता में वापसी के कुछ ही हफ्तों बाद हुई थी जिससे पूरे देश में राजनीतिक तनाव और बढ़ गया था.
अब पैनल की रिपोर्ट ने पुराने घावों को फिर से उजागर कर दिया है. यह जांच आयोग मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने पिछले वर्ष हसीना के पद से हटाए जाने के बाद बनाया था. आयोग का उद्देश्य पुरानी जांच को दोबारा परखना और छुपे हुए तथ्यों को सामने लाना था.
आयोग प्रमुख ए एल एम फजलुर रहमान ने दावा किया कि तत्कालीन अवामी लीग सरकार इस विद्रोह में सीधे तौर पर शामिल थी. उन्होंने पूर्व सांसद फजले नूर तपोश को मुख्य समन्वयक बताया और कहा कि वह हसीना के निर्देश पर काम कर रहे थे जिन्होंने कथित तौर पर इस कार्रवाई को हरी झंडी दी थी.
रिपोर्ट में केवल आंतरिक साजिश की बात नहीं कही गई बल्कि एक विदेशी शक्ति की भूमिका का भी आरोप लगाया गया. रहमान ने कहा कि जांच में यह स्पष्ट संकेत मिले हैं कि भारत ने उस समय बांग्लादेश को अस्थिर करने की कोशिश की थी. उन्होंने बताया कि विद्रोह के समय 921 भारतीय नागरिक बांग्लादेश आए थे जिनमें से 67 का कोई पता नहीं है. इसे उन्होंने भारतीय हस्तक्षेप का सबूत बताया.
हालांकि भारत ने इन आरोपों पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. दोनों देशों के संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं क्योंकि विरोध प्रदर्शनों के बीच हसीना पिछले वर्ष भारत भागकर शरण ले चुकी हैं. इस बीच यूनुस ने आयोग की रिपोर्ट को 'सच्चाई सामने लाने वाला' बताया है. इससे पहले हसीना सरकार की जांच में विद्रोह का कारण सैनिकों की तनख्वाह और इलाज को लेकर असंतोष बताया गया था. लेकिन विपक्ष का आरोप हमेशा रहा है कि हसीना ने सेना पर नियंत्रण मजबूत करने के लिए इस घटना का इस्तेमाल किया था.
अब बांग्लादेश सरकार ने भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग दोहराई है. विदेश सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा कि द्विपक्षीय संबंध एक मुद्दे पर नहीं रुकने चाहिए लेकिन हसीना का प्रत्यर्पण उनकी प्राथमिकता है.
हसीना को पिछले वर्ष मानवता के खिलाफ अपराधों के मामले में अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई गई थी और उन्हें अदालत द्वारा भगोड़ा घोषित किया गया है. नई रिपोर्ट के बाद बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति और अधिक विस्फोटक हो गई है.