US-India Relations: भारत और अमेरिका के बीच हाल के दिनों में व्यापार और ऊर्जा को लेकर तनावपूर्ण माहौल रहा है. विशेषकर टैरिफ और रूस से तेल खरीद पर दोनों देशों के बीच मतभेद साफ दिखाई दिए. हालांकि, ट्रंप प्रशासन की ओर से अब रिश्तों में सकारात्मक बदलाव का संकेत दिया गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी और भारत में अगले राजदूत के लिए नामित सर्जियो गोर ने स्पष्ट किया कि अमेरिका-भारत संबंध 'गर्मजोशी भरे और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण' बने हुए हैं.
उन्होंने माना कि मतभेद ज़रूर हैं, लेकिन आने वाले समय में समाधान की संभावना भी उतनी ही मज़बूत है. सर्जियो गोर ने कहा कि भारत की 1.4 अरब से अधिक आबादी और दुनिया का सबसे बड़ा मध्यम वर्ग, अमेरिका के लिए अभूतपूर्व अवसर प्रस्तुत करता है. अमेरिका का इरादा है कि भारत को कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद और एलएनजी (LNG) निर्यात कर अपने व्यापार को मज़बूत किया जाए.
अमेरिकी प्रशासन लगातार भारत से रूस के साथ तेल व्यापार रोकने की मांग कर रहा है. उनका मानना है कि यह सौदा मास्को को यूक्रेन युद्ध के लिए धन उपलब्ध कराता है. हालांकि, भारत ने साफ कहा कि उसकी ऊर्जा ज़रूरतें उसके राष्ट्रीय हित और बाज़ार की ताक़तों पर आधारित हैं, किसी दबाव पर नहीं.
हाल में अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ और रूस से तेल आयात पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया था. इससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया. लेकिन अब ट्रंप ने नरमी दिखाते हुए नए सिरे से बातचीत का आह्वान किया है और कहा है कि व्यापार बाधाओं को दूर करने के प्रयास जारी रहेंगे.
सर्जियो गोर ने कहा कि अमेरिका और भारत दीर्घकालिक रणनीतिक लक्ष्य साझा करते हैं. चीन के मुकाबले भारत-अमेरिका के रिश्ते कहीं अधिक "मधुर और मज़बूत" हैं. यही वजह है कि दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावनाएँ व्यापक और गहरी हैं.
ऊर्जा के अलावा, गोर ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, फार्मा सेक्टर और महत्वपूर्ण खनिजों में सहयोग की बात कही. उनका मानना है कि भविष्य की दुनिया में भारत और अमेरिका मिलकर नई दिशा तय करेंगे.
पिछले हफ्तों के तनावपूर्ण माहौल के बाद सीनेट समिति में हुई सुनवाई से संकेत मिला है कि रिश्ते अब पटरी पर लौट सकते हैं. विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी भारत को अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक साझेदार बताया.
ट्रंप ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत करेंगे ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार विवादों का समाधान निकल सके. मोदी ने भी इस पहल का स्वागत किया और कहा कि वह अमेरिकी दृष्टिकोण से सहमत हैं.