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'गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी, सब तो है,' अब किस बात का 'ग्रेट' है ब्रिटेन?

जिस ब्रिटेन का दबदबा पूरा दुनिया में था, जिन्होंने पूरी दुनिया को गुलाम बनाया, जिनके राज में कभी सूर्य अस्त नहीं होता है, उन्हीं के देश कंगाली की नौबत आ गई है. ब्रिटने में बेरोजगारी, महंगाई और गरीबी अपने चरम पर है. गरीबी और अमीरी की खाई ऐसी है एक तरफ लोग महलों में हैं, दूसरी तरफ लोगों को फुटपाथ भी नसीब नहीं हो रही है.

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Edited By: India Daily Live
Financial Crisis in UK
Courtesy: www.freepik.com

एक कहावत है कि ब्रिटिश राज में कभी सूर्य अस्त नहीं होता था. यह कहावत सच थी. दुनिया में 7 महाद्वीप हैं. अफ्रीका, अंटार्कटिका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, दक्षिण अमेरिका और उत्तरी अमेरिका. सभी महाद्वीपों पर एक शताब्दी पहले तक, ब्रिटेन का कब्जा था. कोई ऐसा देश नहीं था, जिसे ब्रिटेन ने गुलाम न बनाया हो, या उसकी आधीनता के अंतर्गत आते हों. यह देश, संपन्नता के शिखर पर था. 

भारत जैसे 'सोने की चिड़िया' वाले देश को लूट-लूटकर इस देश ने कंगाल कर दिया था, वही अब अपनी अर्थव्यवस्था के बुरे दौर के गुजर रहा है. एक बार फिर भारत उससे बहुत आगे है, दुनिया पीछे छूट गई है.

भारत, ब्रिटिश का करीब दो शताब्दियों तक गुलाम रहा है. अंग्रेजों ने यहां जमकर लूट-खसोट मचाई, संपदाएं लूटकर ब्रिटेन ले गए. लेकिन वही ब्रिटेन, साल 2022 में भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया.

21वीं सदी में टूटने लगा ग्रेट ब्रिटेन का भ्रम

21वीं सदी ब्रिटेन के लिए अच्छी नहीं रही है. ब्रिटेन साल 2008 से ही आर्थिक मंदी से गुजर रहाहै. यूरोपियन यूनियन के साथ भी यह देश कदम-ताल मिलाकर नहीं चल पाया. साल 2016 में ब्रेग्जिट हुआ, जिसका खामियाजा भी इस देश पर पड़ा. 2020 में इस पर अंतिम मुहर लगी. ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से डूबती नजर आ रही है. 

लड़खड़ा चुकी है देश की अर्थव्यवस्था

ब्रेग्जिट पर आंतरिक विभाजन हुआ, स्कॉटलैंड और नॉर्दन आयरलैंड से कड़ी प्रतिक्रियाएं आईं, यहां से आजादी की पुकार उठने लगी. कोविड-19 महामारी की वजह से यहां की आर्थिक स्थिति और बिगड़ने लगी. यहां बड़ी संख्या में लोगों की जानें गईं, अर्थव्यवस्था लड़खड़ाई और व्यापार प्रभावित हुआ. विकसित देशों में ब्रिटेन आखिरी पायदान तक पहुंच गया.

अब किस बात का 'ग्रेट' है ब्रिटेन?

ब्रिटेन एक जमाने में महाशक्तियों में शुमार था लेकिन अब नहीं है. यह यह मझोले कद का एक देश बन गया है, जो दुनिया में अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहा है. द गार्जियन में छपी एक रिपोर्ट में जाने-माने कॉलमनिस्ट विल ह्यूटन लिखते हैं कि ब्रिटेन की 2 करोड़ आबादी ऐसी है, जिसे महीने में एक न एक दिन भूखा रहना पड़ता है. बच्चों में कुपोषण बढ़ा है, हर तीन बच्चों में से एक बच्चा गरीबी रेखा में आता है. अब यह सोचने का वक्त खत्म हो गया है कि ब्रिटेन धनी देश है. हम गरीब हैं और हमें समय से साथ चलना होगा.

'हम मान लें कि हम हो गए हैं गरीब'

विल ह्यूटन लिखते हैं, 'ब्रिटेन को अब सोचना ही होगा कि हम धनी औद्योगिक देश नहीं है, बल्कि गरीब देश हैं जो पहले पंक्ति के विकास संबंधी चुनौतियों से गुजर रहा है. हमारा एक बड़ा हिस्सा, मध्य आर्थिकआय वाले विकसित देशों जैसा है, जैसे हालात हैं, हम और गरीब होंगे.'

कुपोषण के शिकार हुए बच्चे!

यूनाइटेड किंगडम में गरीबी बढ़ी है. बीते 3 दशक में ऐसा पहली बार हो रहा है कि यहां की हालत ऐसी है. यूनिसेफ और चाइल्ड पूअरिटी एक्शन ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 से लेकर 2023 के बीच में 30 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे, निम्न आय वर्ग जैसी जटिलताओं से गुजर रहे थे. उनके अभिभावकों की आय औसतन गिर गई थी. 

क्यों ब्रिटेन में आई है ऐसी त्रासदी?

ब्रिटिश सरकार का मानना है कि ब्रिटेन में आई ऐसी मंदी यूक्रेन युद्ध और चीन के साफ सप्लाई दिक्कत की वजह से है. उनका कहना है कि बढ़ती महंगाई और बढ़ती मजदूरी निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए बेहतर अवसर लेकर आएंगे. बीते कुछ सप्ताहों से कई शहरों में हिंसाएं भड़की हैं, नॉर्दन आइलैंड में हिंसा भड़की है, दंगे जैसी स्थिति बनी है. 


हो क्या गया है ब्रिटेन को?

ब्रिटिश पुलिस ने करीब 1000 लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार लोगों पर लूट, दंगा, चोरी और हिंसा फैलाने के आरोप लगे हैं. एक देश, जिसका सितारा पूरी दुनिया में जगमगाता रहा है, उसी के अस्त होने के संकेत नजर आ रहे हैं.