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लाल किले पर फिदायीन अटैक! AI CCTV कैमरा से लेकर स्मार्टफोन ऐप तक इस तरह की गई निगरानी

Fidayeen Attack Threat: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिल्ली में हाई अलर्ट जारी किया गया था जिसमें फिदायीन अटैक की जानकारी दी गई है. इसे लेकर लाल किले को सुरक्षित रखा गया था. यहां पर कई तरह से सिक्योरिटी का ध्यान दिया गया है. चलिए जानते हैं किस तरह से लाल किले को सुरक्षित रखा गया था.

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Edited By: India Daily Live
Fidayeen Attack Threat
Courtesy: Canva

Fidayeen Attack Threat: स्वतंत्रता दिवस सेलिब्रेशन से पहले दिल्ली में हाई अलर्ट जारी किया गया था. जानकारी के अनुसार, टेररिस्ट ग्रुप के एक या दो लोग दिल्ली या पंजाब में फिदायीन हमला करने की कोशिश कर सकते हैं. ऐसे में सिक्योरिटी फोर्सेज को पहले से भी ज्यादा सतर्क करने के लिए कहा गया था. इस कोशिश को नाकाम करने की तैयारी भी की गई थी. ऐसे में लाल किले की सिक्योरिटी के लिए सिक्योरिटी फोर्स ने क्या-क्या इंतजाम किए थे, चलिए जानते हैं. 

बता दें कि लाल-किले की एआई आधारित कैमरा, रियल टाइम फेस रिकग्निशन, लोगों की उपस्थिति कंफर्म करने के लिए स्मार्टफोन ऐप का इस्तेमाल आदि शामिल हैं. लाल किले की सुरक्षा कैसे की गई, चलिए जानते हैं. 

इस तरह की गई थी लाल-किले की सिक्योरिटी:

AI-आधारित कैमरे: सिक्योरिटी फोर्सेज ने 700 से ज्यादा CCTV कैमरे लगाए थे. इनमें लाल किले के आसपास एडवांस वीडियो एनालिटिक्स क्षमताओं वाले 150 कैमरे शामिल लगाए गए हैं. इन कैमरों का इस्तेमाल भीड़ का पता लगाने, चेहरे की पहचान करने, ऑडियो के लिए, फेशियल रिकग्निशन, घुसपैठ का पता लगाना और चोरी हुए सामान को ढूंढने के लिए किया जाता है. 

फेशियल रिकग्निशन: लाल किले के मैदान में एक कंट्रोल सेंटर था जो सुरक्षा कर्मियों को इन कैमरों से लाइव स्ट्रीम देखने में मदद करेगा. इसमें एडवांस फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी शामिल है जो लाइव और रिकॉर्ड किए गए वीडियो फीड दोनों का एनालिसिस करने में मदद करेगा. 

पैन-टिल्ट-जूम: पुलिस के अनुसार, AI-आधारित CCTV कैमरों में हाई-रिजोल्यूशन पैन-टिल्ट-जूम सर्विसेज होंगी जिससे वो दूर से किसी की भी पहचान कर पाएंगे. 

स्मार्टफोन ऐप: सूत्रों के अनुसार, पुलिस लाल किले में होने वाले प्रोग्राम में शामिल होने वाले लोगें की पहचान की पुष्टि करने के लिए स्मार्टफोन ऐप का इस्तेमाल करेगी. 

नंबर प्लेट पहचान (NPR) टेक्नोलॉजी: NPR का इस्तेमाल व्हीकल लाइसेंस प्लेटों को स्कैन करने के लिए किया गया था. इसमें लोगों की कार की नंबर प्लेट साफ दिखाई देती हैं और इनकी रिकॉर्ड भी रहता है.