2020 के अब्राहम समझौते (Abraham Accords) के तहत यूएई और इजरायल ने अपने रिश्ते सामान्य किए थे, लेकिन हालिया घटनाक्रम ने इस रिश्ते को नई चुनौती दे दी है. दोहा हमले के बाद अबू धाबी ने कड़ा रुख अपनाया है और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की धमकी को 'शत्रुतापूर्ण बयान' करार दिया है.
यह पूरा मामला न सिर्फ खाड़ी देशों की राजनीति को प्रभावित कर रहा है, बल्कि मध्य पूर्व में कूटनीतिक समीकरणों को भी बदलने की ओर इशारा करता है.
कतर की राजधानी दोहा पर इजरायली हमले का मकसद वहां मौजूद हमास नेताओं को खत्म करना था. दोहा लंबे समय से हमास के राजनीतिक नेतृत्व का ठिकाना रहा है और यहां से ही गाजा युद्ध में मध्यस्थता की कोशिशें भी जारी थीं. ऐसे में यह हमला बेहद संवेदनशील माना जा रहा है. हमले के बाद न सिर्फ यूएई बल्कि कई अन्य देशों ने भी इजरायल की कार्रवाई की निंदा की.
इजरायली हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए यूएई ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू की चेतावनी को 'वैमनस्यपूर्ण' बताया. नेतन्याहू ने कतर को कहा था कि या तो वह हमास नेताओं को देश से बाहर करे या उन्हें न्याय के कटघरे में लाए, अन्यथा इजरायल कार्रवाई करेगा. इस बयान ने अबू धाबी की नाराजगी को और भड़का दिया. बताया जा रहा है कि यूएई, कतर के अनुरोध पर तेल अवीव में अपने दूतावास को बंद करने पर भी विचार कर रहा है.
खबरें हैं कि यूएई सरकार पहले से ही इजरायली राजदूत योसी शेली को लेकर असंतुष्ट थी. उन पर प्रोटोकॉल और सुरक्षा नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा है. अब दोहा हमले के बाद उन्हें तलब करने का कदम यह दिखाता है कि यूएई कूटनीतिक स्तर पर इजरायल पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है.
इसी बीच कतर ने रविवार और सोमवार को आपातकालीन अरब-इस्लामी शिखर सम्मेलन बुलाने का ऐलान किया है. माना जा रहा है कि इस बैठक में इजरायल के हमले और उसके क्षेत्रीय असर पर व्यापक चर्चा होगी. यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान पहले ही खाड़ी देशों का दौरा कर रहे हैं, ताकि इस मुद्दे पर साझा रणनीति बनाई जा सके.