Boycott Turkey: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच तुर्की द्वारा खुलेआम पाकिस्तान का समर्थन करना अब उसे भारी पड़ता दिख रहा है. देशभर में 'बॉयकॉट तुर्की' अभियान तेजी से फैल रहा है. पुणे से लेकर उदयपुर तक व्यापारी अब तुर्की से आने वाले सामान का बहिष्कार कर रहे हैं, जिससे तुर्की की अरबों की ट्रेड डील को बड़ा झटका लग सकता है.
बता दें कि महाराष्ट्र के पुणे में फल व्यापारियों ने तुर्की से आयात होने वाले सेब की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. हर साल यहां तुर्की सेबों का कारोबार ₹1000 से ₹1200 करोड़ तक पहुंचता था, लेकिन अब बाजारों से ये पूरी तरह गायब हो गए हैं.
वहीं पुणे एपीएमसी मार्केट के सेब व्यापारी सहयोग जेंडे ने बताया, ''हमने तुर्की से सेब मंगवाना बंद कर दिया है. अब हिमाचल, उत्तराखंड और ईरान से सेब मंगा रहे हैं. यह फैसला देशभक्ति से प्रेरित है.'' एक अन्य फल विक्रेता ने कहा, ''तुर्की सेबों की मांग में लगभग 50% गिरावट आई है, और ग्राहक खुद इसका बहिष्कार कर रहे हैं.''
#WATCH | Udaipur, Rajasthan: Udaipur marble traders end business with Turkiye for siding with Pakistan amid the ongoing tensions between India and Pakistan.
— ANI (@ANI) May 14, 2025
Kapil Surana, President of Udaipur Marble Processors Committee, says, "Udaipur is Asia's biggest exporter of marbles. All… pic.twitter.com/s9pqwuLjrG
उदयपुर में मार्बल व्यापारियों का बड़ा फैसला
बताते चले कि एशिया के सबसे बड़े मार्बल बाजार उदयपुर के व्यापारियों ने तुर्की से मार्बल आयात बंद करने का निर्णय लिया है. उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स कमेटी के अध्यक्ष कपिल सुराना ने कहा, "जब तक तुर्की पाकिस्तान का समर्थन करता रहेगा, हम उनसे कोई व्यापार नहीं करेंगे." उन्होंने बताया कि भारत में जो मार्बल आता है, उसमें लगभग 70% तुर्की से आता था, लेकिन अब यह पूरी तरह बंद कर दिया गया है.
सुराना ने कहा, ''अगर देशभर की मार्बल एसोसिएशन्स ऐसा कदम उठाएं, तो यह एक मजबूत राष्ट्रीय संदेश होगा कि भारत अकेला नहीं, बल्कि पूरा व्यापारिक वर्ग सरकार के साथ है.'' उन्होंने यह भी कहा, ''इससे भारतीय मार्बल उद्योग को नई ताकत मिलेगी और हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा.''
राजनीतिक फैसलों का असर अब व्यापार पर भी
इसके अलावा, तुर्की का पाकिस्तान के पक्ष में झुकाव अब भारत के लिए केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक चुनौती भी बन गया है. भारत के व्यापारी अब साफ संदेश दे रहे हैं कि राष्ट्रीय स्वाभिमान से बड़ा कोई व्यापार नहीं.