नई दिल्ली: रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का स्वागत किया है. क्रेमलिन का कहना है कि यह रणनीति रूस की सोच और दृष्टि से काफी हद तक मेल खाती है. शीत युद्ध खत्म होने के बाद पहली बार रूस ने किसी अमेरिकी रणनीति दस्तावेज को इतना मजबूत समर्थन दिया है. ट्रंप की रणनीति में 'फ्लेक्सिबल रियलिज्म' की अवधारणा रखी गई है और मोनरो डॉक्ट्रिन को फिर से जीवित करने का सुझाव दिया गया है, जिसमें अमेरिका पश्चिमी गोलार्ध को अपने प्रभाव क्षेत्र के रूप में देखता है.
रणनीति दस्तावेज यह भी चेतावनी देता है कि यूरोप को 'सभ्यता के मिटने' का खतरा है. इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए बातचीत अमेरिकी हित का एक मुख्य हिस्सा होना चाहिए. रणनीति में अमेरिका और रूस के बीच रणनीतिक स्थिरता को बहाल करने का लक्ष्य भी रखा गया है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि इस दस्तावेज में जिन बदलावों का जिक्र है, वे कई मामलों में रूस की दृष्टि के अनुरूप हैं.
पेसकोव ने नाटो विस्तार पर अमेरिकी रणनीति में दिए गए बयान का स्वागत किया. रणनीति में कहा गया है कि नाटो को 'हमेशा विस्तार करते रहने वाले सैन्य गठबंधन' की धारणा को खत्म किया जाना चाहिए. पेसकोव ने इसे उत्साहजनक बताया. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अमेरिका की 'डीप स्टेट' की सोच ट्रंप की सोच से अलग है और वह वैश्विक मुद्दों को अलग नजरिये से देखती है.
रूस और अमेरिका के बीच यह सहमति असाधारण है क्योंकि 2014 में क्रीमिया को रूस द्वारा अधिग्रहित करने और 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिकी रणनीति दस्तावेज रूस को हमेशा एक अस्थिर करने वाली शक्ति के रूप में पेश करते रहे हैं. लेकिन पेसकोव ने समाचार एजेंसी से कहा कि रूस को सीधे खतरे के रूप में देखने के बजाय रणनीतिक स्थिरता पर सहयोग की बात करना एक सकारात्मक बदलाव है.
रणनीति में इंडो पैसिफिक को आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का मुख्य क्षेत्र बताया गया है. इसमें कहा गया है कि अमेरिका और उसके सहयोगी चीन के साथ संघर्ष को रोकने के लिए अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूती देंगे. दूसरी ओर रूस, जिस पर यूक्रेन युद्ध के चलते भारी प्रतिबंध लगे हैं, चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है.
ट्रंप ने मार्च में एक इंटरव्यू में कहा था कि रूस और चीन का एक साथ आना दुनिया के लिए नुकसानदायक हो सकता है. इससे पहले अमेरिका और रूस केवल कुछ अवसरों पर वैश्विक मुद्दों पर सहमत हुए थे. शीत युद्ध के दौरान दोनों देशों के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण थे. 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद सहयोग की उम्मीदें जगीं लेकिन बाद के वर्षों में नाटो विस्तार और रूस की नीतियों ने तनाव को बढ़ा दिया.