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रॉकेट दाग दिया तो सोख लेगा पूरी ऑक्सीजन, तड़पकर मरेंगे लोग, ये कैसा खतरनाक हथियार? 

Thermobaric Rocket: रूस ऐसे हथियारों का प्रयोग करता है जिन्हें फायर करने के बाद वह वातावरण की सारी ऑक्सीजन सोख लेता है. इसका नाम सुनते ही दुश्मन सैनिक डर से कांपने लगते हैं.

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Thermobaric Weapon

Thermobaric Rocket: यूक्रेन पर हमले के लिए रूस खतरनाक हथियार का प्रयोग कर रहा है. यह रॉकेट्स जहां पर गिरते हैं वहां की ऑक्सीजन सोख लेते हैं. जब यह सैकड़ों रॉकेट एक साथ छोड़े जाते हैं तब टारगेट के आस-पास का इलाका ऑक्सीजन की कमी से जूझने पर मजबूर होता है. इस रॉकेट के कारण दुश्मन देशों की हालत खस्ता हो जाती है. रूस के इस घातक हथियार का नाम TOS-2 Tosochka है. यह रूस का मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम है. 

रिपोर्ट के अनुसार, इस रॉकेट में थर्मोबेरिक वॉरेहड लगाया जाता है. रूसी सेना साल 2021 से इस हथियार का इस्तेमाल कर रही है. एक रॉकेट सिस्टम के भीतर 220 मिमी कैलिबर के 18 रॉकेट मौजूद होते हैं. इनकी रेंज 10 किमी के आस-पास होती है. इन हथियारों की मारक क्षमता जरूर कम है लेकिन इनका सामना करने से दुश्मन सैनिक डरते हैं. क्योंकि यह आपसे ऑक्सीजन छीन लेता है. भारत के पास भी रूस की तरह पिनाका रॉकेट सिस्टम है. इसमें वह थर्मोबेरिक वॉरहेड लगा सकता है और दुश्मनों को करारा जवाब दे सकता है.

क्या हैं थर्मोबेरिक हथियार? 

थर्मोबेरिक हथियार को एयरोसोल बम या वैक्यूम बम के नाम से भी जाना जाता है. इनका कई तरह से उपयोग किया जाता है. बम के तौर पर या मिसाइल, टैंक के गोले या रॉकेट के आगे लगाकर इसे दुश्मन की ओर फायर किया जाता है. जैसे ही यह फटता है गैस, द्रव या पाउडर विस्फोटक के एयरोसाल कण हवा में फैला देता है. 

इसका इस्तेमाल आम तौर पर बख्तरबंद वाहनों के अंदर मौजूद सैनिकों को निकालने के लिए होता है. इमारतों या बंकरों में छिपे दुश्मन को बाहर निकालने के लिए भी इस हथियार का प्रयोग किया जाता है. इसके फायर होने के बाद वातावरण में बहुत ज्यादा गर्मी हो जाती है और ऑक्सीजन कम हो जाता है.