हाल ही में एक रिपोर्ट जारी हुई है, जिसमें कई अमेरिकी आव्रजन केंद्रों में बिना दस्तावेज़ वाले प्रवासियों के सामने आने वाली अमानवीय परिस्थितियों और बंदियों के साथ किए जाने वाले अपमानजनक व्यवहार का पर्दाफ़ाश किया है. सबसे चौंकाने वाले खुलासों में से एक पश्चिमी मियामी स्थित क्रोम नॉर्थ सर्विस प्रोसेसिंग सेंटर में महिला बंदियों के साथ किया जाने वाला व्यवहार है, जहाँ कथित तौर पर महिलाओं को पुरुष बंदियों की पूरी नज़र में शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया जाता था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है "'You Feel Like Your Life is Over': Abusive Practices at Three Florida Immigration Detention Centres Since January 2025," विशेष रूप से फ्लोरिडा के तीन हिरासत केंद्रों में महिलाओं और पुरुषों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार पर प्रकाश डालती है. सबसे चौंकाने वाली बातें वेस्ट मियामी के क्रोम नॉर्थ सर्विस प्रोसेसिंग सेंटर में सामने आई हैं, जहां महिला हिरासतियों को पुरुष हिरासतियों के सामने खुले में शौचालय का उपयोग करने के लिए मजबूर किया गया.
क्रोम सेंटर में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार
रिपोर्ट के अनुसार, क्रोम नॉर्थ सर्विस प्रोसेसिंग सेंटर, जो मूल रूप से पुरुषों के लिए बनाया गया है, वहां महिलाओं को हिरासत में रखा गया. इन महिलाओं को लिंग-उपयुक्त मेडिकल सुविधाएं, बुनियादी स्वच्छता सुविधाएं, और पर्याप्त भोजन तक पहुंच से वंचित रखा गया. "महिलाओं को नहाने की सुविधा या गोपनीयता नहीं दी गई, और कुछ को पुरुष हिरासतियों द्वारा दृश्यरति का सामना करना पड़ा," रिपोर्ट में जिक्र किया गया है. यह प्रक्रिया घंटों तक नहीं, बल्कि कई दिनों तक चली, जिसने इन महिलाओं की गरिमा को और ठेस पहुंचाई.
कैद में रह रही महिलाओं को कुत्तों की तरह खाने के लिए किया मजबूर
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि बंदियों को अमानवीय परिस्थितियों में रखा गया. कई पुरुषों को भीड़भाड़ वाली कोठरी में घंटों तक रखा गया और उन्हें शाम 7 बजे तक भोजन नहीं दिया गया. जब भोजन दिया गया, तब भी उनके हाथ पीछे बंधे हुए थे, और उन्हें स्टायरोफोम प्लेटों से कुर्सियों पर रखे भोजन को "कुत्तों की तरह" खाने के लिए मजबूर किया गया. एक बंदी ने कहा, "हमें अपने हाथ पीछे बंधे होने के बावजूद कुर्सियों से मुंह से खाना खाना पड़ा, जैसे कुत्ते."
भारतीय मूल के शख्स ने लगाए नस्लीय उत्पीड़न के आरोप
रिपोर्ट में भारतीय मूल के 56 वर्षीय ब्रिटिश उद्यमी हरपिंदर सिंह चौहान की कहानी भी शामिल है, जो 2016 से अमेरिका में रह रहे हैं. पॉम्पानो बीच के हिरासत केंद्र में उनके साथ नस्लीय टिप्पणियां की गईं. मई के अंत में एक रोल कॉल के दौरान, एक अधिकारी ने उनका मजाक उड़ाते हुए उन्हें "चिहुआहुआ" कहा, जो एक नस्लीय और अपमानजनक टिप्पणी थी. चौहान ने यह भी बताया कि उन्होंने एक बुजुर्ग व्यक्ति को लात मारते हुए देखा.
भीड़भाड़ वाले बस में 24 घंटे से अधिक समय तक हिरासत
रिपोर्ट के अनुसार, हिरासत केंद्र इतने भरे हुए थे कि कुछ प्रवासियों को पार्किंग में खड़ी बस में 24 घंटे से अधिक समय तक रखा गया. पुरुषों और महिलाओं को एक साथ रखा गया, और केवल एक शौचालय की सुविधा थी, जो जल्दी ही बंद हो गया. एक हिरासती ने बताया, "बस गंदी हो गई थी. इसमें एकमात्र शौचालय सामान्य रूप से केवल पेशाब के लिए इस्तेमाल होता है, लेकिन इतने लंबे समय तक बस में रहने के कारण लोग उसमें मल त्याग करने लगे. इससे पूरी बस में बदबू फैल गई." जब हिरासतियों को अंततः केंद्र में ले जाया गया, तो उन्हें 12 दिनों तक ठंडे कंक्रीट फर्श पर बिना बिस्तर या गर्म कपड़ों के "ला हिएलेरा" (आइस बॉक्स) नामक ठंडे कमरे में रखा गया.
हाईटियन महिला की हिरासत केंद्र में हुई मौत
रिपोर्ट में पॉम्पानो बीच के ब्रोवार्ड ट्रांजिशनल सेंटर में 44 वर्षीय हाईटियन महिला मैरी एंज ब्लेज़ की मौत का भी जिक्र है, जो 25 अप्रैल को हुई. एक अन्य हिरासती, रोसा, ने बताया कि उन्होंने पास की कोठरी से चीखें सुनीं और ब्लेज़ को घुटनों के बल बैठे हुए देखा, जो शायद दौरा पड़ने की स्थिति में थी. रोसा ने कहा, "हमने मदद के लिए चिल्लाया, लेकिन गार्ड्स ने हमें नजरअंदाज किया. आखिरकार, एक अधिकारी धीरे-धीरे आया, उसने ब्लेज़ को देखा, बिना हस्तक्षेप के चला गया. आठ मिनट बाद मेडिकल टीम आई, और फिर 15-20 मिनट बाद रेस्क्यू टीम पहुंची. तब तक वह हिल नहीं रही थी.