People rent out their wives in Thailand: बहुत सी ऐसी चीज हैं जो आज के समय में किराए पर उबलब्ध हैं. जैसे कार, बाइक, कपड़े आदि. निर्जीव चीजों का किराया पर दिया जाना एक आम बात है. लेकिन एक ऐसा देश हैं जहां लोग अपनी पत्नी को किराए पर देते हैं. थाईलैंड के पटाया में "पत्नी किराए पर देने" का चलन एक ऐसा ही विषय है, जो हाल के वर्षों में काफी चर्चा का विषय बना है. यहां यह प्रथा न केवल व्यापक रूप से प्रचलित है, बल्कि इसकी मांग भी तेजी से बढ़ रही है.
थाईलैंड के पटाया जैसे शहरों में "पत्नी किराए पर देने" का मतलब अस्थायी रूप से किसी महिला को साथी के रूप में किराए पर लेना होता है. इस व्यवस्था में आमतौर पर ग्रामीण इलाकों से आने वाली महिलाएं शामिल होती हैं, जो पर्यटकों को अपना साथी बनाती हैं. यह अस्थायी शादी या "टेम्परेरी मैरिज" के रूप में जानी जाती है, जो कुछ दिनों से लेकर कई महीनों तक चल सकती है.
पत्नी को किराए पर रखने की कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है. इसमें महिला की सुंदरता, उम्र, शिक्षा और अनुभव को ध्यान में रखा जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रथा में फीस $1,600 (लगभग ₹1.3 लाख) से लेकर $116,000 (लगभग ₹96 लाख) तक हो सकती है. कई बार इन अस्थायी रिश्तों से स्थायी संबंध भी बन जाते हैं, और कुछ महिलाएं अपने ग्राहकों से विवाह भी कर लेती हैं.
किराए की पत्नी की व्यवस्था का केंद्र पटाया के बार, नाइटक्लब और रेस्तरां हैं. विदेशी पर्यटक इन महिलाओं से इन जगहों पर संपर्क करते हैं. बातचीत के बाद, दोनों पक्षों की सहमति से एक अस्थायी समझौता तय किया जाता है.
थाईलैंड सरकार इस प्रथा से भलीभांति परिचित है, लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए कोई विशेष कानून मौजूद नहीं है. यह पूरी तरह एक अनौपचारिक समझौता है, जो दोनों पक्षों की सहमति पर आधारित है.
इस प्रथा के बढ़ने के कई सामाजिक और आर्थिक कारण हैं. शहरीकरण और व्यस्त जीवनशैली के चलते लोगों के पास स्थायी रिश्ते बनाने का समय नहीं होता. साथ ही, ग्रामीण इलाकों में रोजगार की कमी और आर्थिक तंगी के कारण महिलाएं इस पेशे को अपनाने के लिए मजबूर होती हैं.
थाईलैंड में यह चलन जापान और दक्षिण कोरिया से प्रेरित है, जहां "रेंटल गर्लफ्रेंड" जैसी सेवाएं पहले से ही प्रचलित हैं. वहां की सफलता को देखते हुए, थाईलैंड में भी यह प्रथा धीरे-धीरे बढ़ी.
हालांकि यह प्रथा आर्थिक रूप से फायदेमंद हो सकती है, लेकिन इससे जुड़े नैतिक और सामाजिक मुद्दों पर बहस जारी है. कुछ इसे शोषण मानते हैं, तो कुछ इसे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का साधन समझते हैं.