Russia-Ukraine War: अमेरिका, रूस और यूक्रेन की जंग एक नए मोड़ पर पहुंच गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया मुलाकात के बाद पेंटागन ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसने सीधे तौर पर यूक्रेन की रणनीति को कमजोर कर दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, पेंटागन ने यूक्रेन को अमेरिकी निर्मित लंबी दूरी की ATACMS मिसाइलों का इस्तेमाल रूस की सीमा के अंदर करने की इजाजत नहीं दी है. इसका मतलब यह हुआ कि अब यूक्रेन इन मिसाइलों का प्रयोग केवल रक्षा तक ही कर सकता है, आक्रामक हमलों के लिए नहीं.
यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब तीन साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध का कोई अंत नजर नहीं आ रहा है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, इस रोक को रूस के लिए एक राहत माना जा रहा है, क्योंकि इससे यूक्रेन की जवाबी क्षमता सीमित हो जाएगी. दूसरी ओर, राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में बयान दिया था कि आक्रामकता का जवाब केवल रक्षा से नहीं दिया जा सकता, जिसे यूक्रेन को अप्रत्यक्ष रूप से रूस पर हमला करने की हरी झंडी माना गया था.
इस बीच ट्रंप ने रूस पर भारी आर्थिक प्रतिबंध या टैरिफ लगाने की चेतावनी भी दी है. उन्होंने कहा कि या तो रूस पर कड़े आर्थिक वार किए जाएंगे, या फिर अमेरिका इस लड़ाई को ‘यूक्रेन की लड़ाई’ कहकर इससे किनारा कर सकता है. ट्रंप की योजना पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच सीधी मुलाकात कराने की भी थी, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने साफ किया है कि फिलहाल किसी भी शिखर बैठक का एजेंडा तय नहीं है. इसका मतलब यह हुआ कि शांति वार्ता की उम्मीदें फिर से अधर में लटक गई हैं.
दूसरी तरफ, रूस ने यूक्रेन पर अपने हमले और तेज कर दिए हैं. 23 अगस्त को दिनिप्रोपेत्रोव्स्क ओब्लास्ट में रूसी हमलों में एक व्यक्ति की मौत हो गई और नौ लोग घायल हो गए. सिनेलनिकोवे जिले में 7 मकानों और 1 बस को निशाना बनाया गया. निकोपोल जिले में गैस पाइपलाइन और बिजली की लाइन को भी नुकसान पहुंचा. इसके अलावा, खेरसॉन में रूसी FPV ड्रोन ने नागरिकों को निशाना बनाया.
स्पष्ट है कि ट्रंप और पुतिन की मुलाकात के बाद हालात और उलझ गए हैं. एक तरफ पेंटागन का प्रतिबंध यूक्रेन को कमजोर कर रहा है, तो दूसरी ओर रूस अपने हमले लगातार बढ़ा रहा है. ऐसे में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है, क्योंकि अब उनके पास रूस पर पलटवार करने के सीमित साधन ही बचे हैं.