भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के पास मौजूद चीन निर्मित एयर डिफेंस सिस्टम HQ-16 और HQ-9 पूरी तरह विफल साबित हुए. भारत की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता ने इन दोनों प्रणालियों को अंधा बना दिया और पाकिस्तान एक भी मिसाइल हमले को नहीं रोक सका. इस असफलता ने चीन के साथ पाकिस्तान के सैन्य रिश्तों पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
7 मई को भारतीय वायुसेना ने आतंकवादी ठिकानों के साथ-साथ चकलाला और रहीम यार खान जैसे संवेदनशील पाकिस्तानी एयरबेस पर सटीक हमले किए. राफेल लड़ाकू विमानों से दागी गई स्कैल्प क्रूज मिसाइलों ने पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली को चकमा दे दिया. HQ-9 लॉन्चर, जो लाहौर और सियालकोट जैसे इलाकों में तैनात थे, नष्ट हो गए.
चीन की शर्मिंदगी, पाकिस्तान की नाराजगी
पाकिस्तानी सेना ने चीन के HQ-16 और HQ-9 पर वर्षों तक भरोसा किया, लेकिन इस नाकामी ने न केवल पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर शर्मिंदा किया, बल्कि बीजिंग से भरोसा भी कमजोर किया. चीनी विशेषज्ञों ने इस विफलता का दोष पाकिस्तान की खराब संचालन क्षमता पर मढ़ा, जिससे रिश्तों में खटास और बढ़ गई.
अब SIPER से उम्मीदें
इस झटके के बाद पाकिस्तान की नजर अब तुर्की के SIPER एयर डिफेंस सिस्टम पर है.
SIPER ब्लॉक 1 – 70 किमी तक हवाई लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है. यह HQ-16 के बराबर माना जा रहा है, लेकिन इसकी रेडार और गाइडेंस प्रणाली कहीं ज्यादा आधुनिक है, जो इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग से बेहतर तरीके से निपट सकती है.
SIPER ब्लॉक 2, जो फिलहाल परीक्षण में है, 2026 तक ऑपरेशनल हो सकता है. इसकी इंगेजमेंट रेंज 150 किमी होगी, जो इसे HQ-9 का सीधा प्रतिद्वंद्वी बनाती है.
इस प्रणाली को स्टील्थ खतरे और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध से निपटने के लिहाज से डिज़ाइन किया गया है. यही कारण है कि पाकिस्तान इसे भविष्य की रक्षा जरूरतों का बेहतर विकल्प मान रहा है.
भारत के हमले के बाद पाकिस्तान की रणनीतिक सोच में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. चीन पर से भरोसा उठने के बाद अब वह तुर्की की ओर झुकाव दिखा रहा है. SIPER प्रणाली पर नजर इस बात की पुष्टि करती है कि पाकिस्तान अब तकनीकी रूप से मजबूत और आधुनिक रक्षा प्रणालियों की तलाश में है, ताकि वह भविष्य में भारत जैसी शक्ति का मुकाबला कर सके.