Pakistan Army Tribute: पाकिस्तान ने 1999 के करगिल युद्ध के अपने सैनिक कैप्टन कर्नल शेर खान को उनकी 26वीं पुण्यतिथि पर 'शहादत और बहादुरी' के लिए श्रद्धांजलि दी है. पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इस अवसर पर उन्हें 'देश का सच्चा हीरो' बताया. लेकिन इसी पाकिस्तान ने युद्ध के बाद जब उनका शव टाइगर हिल पर बरामद हुआ था, तो उसे स्वीकारने से स्पष्ट इनकार कर दिया था.
15 जुलाई 1999 को वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास ने बताया कि भारत ने पाकिस्तानी अधिकारियों को कैप्टन शेर खान की पहचान के बारे में सूचित कर दिया था. इसके बावजूद पाकिस्तान ने न केवल इस पहचान को नकारा, बल्कि यह मानने से भी इनकार किया कि करगिल में पाकिस्तानी सेना के नियमित सैनिक शामिल थे.
'पाकिस्तान को पूरी जानकारी थी कि शव किसके हैं, लेकिन अगर उन्होंने यह स्वीकार कर लिया, तो करगिल में सेना की संलिप्तता उजागर हो जाती. यही वजह है कि उन्होंने न केवल पहचान से इनकार किया, बल्कि अपने ही सैनिकों और उनकी पारिवारिक गरिमा के साथ अन्याय किया.'
भारत ने 12 जुलाई 1999 को पाकिस्तान से कैप्टन शेर खान के शव को सौंपने की पेशकश की थी. इसके अगले दिन 13 जुलाई को रेड क्रॉस (ICRC) ने भारत से संपर्क किया और बताया कि पाकिस्तान सरकार ने उनसे शवों को प्राप्त करने की अनौपचारिक कोशिश की है. लेकिन पाकिस्तान ने नाम और पहचान स्पष्ट नहीं की, ताकि यह साबित न हो जाए कि करगिल में उनकी सेना शामिल थी.
26 साल बाद पाकिस्तान का यह सम्मान कई सवाल खड़े करता है. क्या यह एक राजनीतिक दिखावा है या सच्ची आत्मस्वीकृति? भारत इसे पाकिस्तान की एक दोहरे चरित्र वाली रणनीति मानता है, जो पहले सैनिकों को नकारती है और बाद में उन्हें "हीरो" बताकर खुद को पाक साफ साबित करने की कोशिश करती है.