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India Daily

चीन के J-35A स्टील्थ जेट से लैस हुआ पाकिस्तान, भारत के सैन्य ठिकानों के लिए खतरा?

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस्लामाबाद स्कार्दू (बाल्टिस्तान), कराच या ग्वादर के ठिकानों पर जे-35ए को तैनात कर सकता है. इन अग्रिम ठिकानों से विमान जम्मू, राजस्थान और गुजरात में महत्वपूर्ण भारतीय सैन्य ढांचे को ख़तरा बन सकता है

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Edited By: Gyanendra Sharma
S-400
Courtesy: Social Media

पाकिस्तान अपनी सैन्य क्षमता चीन की मदद से बढ़ा रहा है. वह अपनी मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम को अपडेट कर रहा है. पाकिस्तान के पास पहले से ही शाहीन, अब्दाली, गजनवी, गौरी और लंबी दूरी की शाहीन-3 बैलिस्टिक मिसाइलें हैं जिनमें से कुछ 2,500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक के लक्ष्यों तक पहुँचने में सक्षम हैं. अब, बीजिंग अपने पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर, J-35A को इस्लामाबाद में स्थानांतरित करने की तैयारी कर रहा है. इस विमान की रडार से बचने वाली प्रोफ़ाइल, लंबी दूरी की स्ट्राइक क्षमता और नेटवर्क वाली लड़ाकू प्रणाली भारतीय रक्षा योजनाकारों के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर सकती हैं.

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस्लामाबाद स्कार्दू (बाल्टिस्तान), कराच या ग्वादर के ठिकानों पर जे-35ए को तैनात कर सकता है. इन अग्रिम ठिकानों से विमान जम्मू, राजस्थान और गुजरात में महत्वपूर्ण भारतीय सैन्य ढांचे को ख़तरा बन सकता है. पाकिस्तान की राद-II क्रूज मिसाइलों के साथ मिलकर जे-35ए को स्थिर आक्रमण क्षमता प्राप्त होगी अर्थात विवादित हवाई क्षेत्र में प्रवेश किए बिना भारतीय क्षेत्र में अंदर तक हमला करने की क्षमता.

चीन के FC-31 'गिरफाल्कन' पर आधारित J-35A, एक ट्विन-इंजन, सिंगल-सीट स्टील्थ फाइटर है जिसकी लड़ाकू रेंज लगभग 1,200 किलोमीटर है. इसमें PL-15 या PL-17 जैसी उन्नत बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइलें होने की उम्मीद है, जो 200 से 300 किलोमीटर की स्ट्राइक रेडी प्रदान करती हैं. ड्रोन, AWACS और ग्राउंड-बेस्ड रडार के साथ इसका एकीकरण इसे मल्टी-डोमेन वारफेयर प्रोफाइल देता है. यदि पाकिस्तान 2028 तक 30-40 इकाइयाँ प्राप्त कर लेता है, जैसा कि अपेक्षित है, तो उसकी वायु सेना को स्ट्राइक और रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण छलांग मिलेगी.

भारत के लिए दो मोर्चों पर लड़ना होगा मुश्किल? 

भारत के दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ना कठिन हो जाएगा. LAC के पास चीन के J-20 स्टील्थ जेट के साथ J-35A की तैनाती भारत को दो-थिएटर संघर्ष की स्थिति में डाल सकती है. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इस तरह के घटनाक्रमों के लिए भारत के वायु रक्षा बुनियादी ढांचे में तत्काल सुधार की आवश्यकता है.

रूस के एस-500 'प्रोमेथियस' वायु रक्षा प्रणाली में प्रवेश करें. एस-400 का उत्तराधिकारी, एस-500 उन्नत हवाई खतरों का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह मैक 19 तक की गति से यात्रा करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को रोक सकता है, कम आवृत्ति वाले रडार का उपयोग करके स्टील्थ विमानों को बेअसर कर सकता है और यहां तक ​​कि निचली-पृथ्वी कक्षा में उपग्रहों को भी मार गिरा सकता है.

एस-500 की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं

बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा: 200 किमी तक की ऊंचाई और 600 किमी तक की दूरी पर हाइपरसोनिक प्रक्षेपास्त्रों को रोकने में सक्षम.

एंटी-स्टील्थ डिटेक्शन: 91N6A(M) और 77N6-N/N1 इंटरसेप्टर मिसाइलें 400 किमी से अधिक दूरी पर J-35A जैसे कम-आरसीएस लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती हैं.

उपग्रह रोधी क्षमता: आईएसआर और मिसाइल मार्गदर्शन के लिए उपयोग किए जाने वाले उपग्रहों को निष्क्रिय कर सकता है, जिससे पाकिस्तान के भरोसेमंद नेटवर्क बाधित हो सकते हैं.

बहु-लक्ष्यीय मारक क्षमता: एक साथ दस से अधिक हवाई और बैलिस्टिक लक्ष्यों पर मार करने में सक्षम.

गतिशीलता: हाई-व्हील प्लेटफॉर्म एलओसी और एलएसी दोनों पर तेजी से तैनाती की अनुमति देते हैं.

मई में जब सीमा पार झड़पें चरम पर थीं, तब S-400 ने दुश्मन की हवाई सीमा में 314 किलोमीटर अंदर पाकिस्तानी AWACS को मार गिराकर अपनी ताकत का परिचय दिया था. S-500 के साथ, भारत इस कवरेज को बढ़ा सकता है और सीमा पार करने से पहले ही खतरों को बेअसर कर सकता है. भारत के पास पहले से ही एस-400 की पांच रेजिमेंट हैं. उन्हें 2-3 एस-500 इकाइयों के साथ जोड़कर, नई दिल्ली एक इंटरलिंक्ड एयर डिफेंस ग्रिड बना सकता है. इससे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे महत्वपूर्ण शहरी केंद्रों के साथ-साथ अग्रिम एयरबेस और रणनीतिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा हो सकती है.

एस-500 बनाम जे-35ए

एस-500 के रडार और एआई ट्रैकिंग सिस्टम को जे-35ए जैसे स्टील्थ विमानों को उजागर करने और लॉक करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसका मल्टी-टारगेट एंगेजमेंट ड्रोन या AWACS का उपयोग करके समन्वित हमलों को कम प्रभावी बनाता है. यह भारतीय हवाई क्षेत्र में पहुंचने से पहले क्रूज और हाइपरसोनिक मिसाइलों को रोक सकता है. इसकी सैटेलाइट इंटरसेप्शन क्षमता पाकिस्तानी और चीनी अभियानों का मार्गदर्शन करने वाले ISR सिस्टम के लिए खतरा है. सैन्य विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि अगर भारत एस-500 को अपने एकीकृत वायु रक्षा कमान (IADC) में शामिल करने में देरी करता है, तो उसके पीछे छूट जाने का जोखिम है.