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मोहम्मद यूनुस ने चीन के निवेशकों से की ये अपील? क्या चीन के करीब जा रहा है भारत का आजाद किया हुआ बांग्लादेश

मोहम्मद यूनुस ने चीनी निवेशकों को संबोधित करते हुए कहा, "चीनी निवेशकों ने दक्षिण एशिया में कई देशों की अर्थव्यवस्था को बदला है, मैं उम्मीद करता हूं कि बांग्लादेश में भी इसी तरह का बदलाव देखने को मिलेगा."

Sagar
Edited By: Sagar Bhardwaj
Mohammad Yunus made this appeal to Chinese investors Is Indias neighbor Bangladesh getting closer to

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने रविवार को ढाका में आयोजित चीन-बांग्लादेश व्यापार और निवेश सम्मेलन में चीनी निवेशकों से देश में निवेश करने का आह्वान किया. इस सम्मेलन में 150 से अधिक चीनी व्यापारी और निवेशक शामिल हुए.

बांग्लादेश में निवेश की संभावनाएं
मोहम्मद यूनुस ने चीनी निवेशकों को संबोधित करते हुए कहा, "चीनी निवेशकों ने दक्षिण एशिया में कई देशों की अर्थव्यवस्था को बदला है, मैं उम्मीद करता हूं कि बांग्लादेश में भी इसी तरह का बदलाव देखने को मिलेगा." उन्होंने कहा कि पिछले 10 महीनों में अंतरिम सरकार द्वारा किए गए सुधारों के परिणाम सामने आ रहे हैं. यूनुस ने पूर्व शेख हसीना सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "इकोनॉमिक ज़ोन बनाए गए, लेकिन वो खाली पड़े रहे. वहां गाय और भैंसे चरने लगे थे." उन्होंने जोर देकर कहा, "हम निवेशकों से कहना चाहते हैं कि आप आएं और बांग्लादेश के इतिहास का हिस्सा बनें और साथ मिलकर प्रगति की राह पर चलें."

चीनी सहयोग और बांग्लादेश की रणनीति
यूनुस ने निवेशकों की सुविधा के लिए रिलेशनशिप मैनेजर्स नियुक्त करने की बात कही. उन्होंने चीनी निवेशकों से आग्रह किया, "बांग्लादेश को अपना घर बनाएं और इसे अपना उत्पादन केंद्र बनाएं." चीनी व्यापार मंत्री वांग वेनताओ ने कहा, "चीन बांग्लादेश को अपनी निर्यात क्षमता में सुधार करने, व्यापार और निवेश के एकीकृत विकास को बढ़ावा देने और विश्व अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने में मदद करने के लिए तैयार है."

विशेषज्ञों की चेतावनी
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमिरेट्स एसडी मुनि ने चेतावनी दी, "मोहम्मद यूनुस को यह समझने की ज़रूरत है कि चीन ग्रांट नहीं देता, वह लोन देता है और उसे हर तरह से वसूल करता है." मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन संस्थान की रिसर्च फेलो डॉ. स्मृति एस पटनायक ने कहा, "चीन बांग्लादेश में अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहता है ताकि अमेरिका और भारत का प्रभाव कम हो." दोनों विशेषज्ञों ने जोर दिया कि चीनी निवेश लेना आसान है, लेकिन उसे चुकाना कठिन हो सकता है.