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ऑपरेशन सिंदूर के बाद इंटरनेशल मार्केट में बढ़ गई ब्रह्मोस मिसाइल की पॉपुलैरिटी, खरीदने के लिए कई देशों ने लगाई लाइन

ब्रह्मोस की खासियत यह है कि इसे जमीन, हवा और समुद्र – तीनों से लॉन्च किया जा सकता है. यह मिसाइल 200-300 किलोग्राम तक का विस्फोटक ले जा सकती है और लगभग 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरते हुए केवल 10 मीटर की ऊंचाई पर लक्ष्य को भेद सकती है.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Many countries are interest to buying BrahMos missile after Operation Sindoor
Courtesy: Social Media

हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का सुपरसोनिक मिसाइल सिस्टम 'ब्रह्मोस' एक बार फिर सुर्खियों में है. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस ऑपरेशन में भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल का उपयोग पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस समेत कई ठिकानों पर किया. हालांकि सरकार की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह दावा किया जा रहा है कि इस हमले के जरिए पाकिस्तान और पीओके के आतंकवादी ठिकानों में भारी तबाही मचाई गई.

ब्रह्मोस की खासियत यह है कि इसे जमीन, हवा और समुद्र – तीनों से लॉन्च किया जा सकता है. यह मिसाइल 200-300 किलोग्राम तक का विस्फोटक ले जा सकती है और लगभग 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरते हुए केवल 10 मीटर की ऊंचाई पर लक्ष्य को भेद सकती है. इसकी मारक क्षमता सैकड़ों किलोमीटर तक है. वर्ष 2001 में पहली बार इसका परीक्षण किया गया था और इसके बाद इसमें कई बार तकनीकी उन्नति की गई.

विदेशों में बढ़ी ब्रह्मोस की मांग

ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई देशों की नजर ब्रह्मोस मिसाइल पर टिक गई है. पहले से ही यह मिसाइल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय थी, लेकिन अब इसके खरीदारों की संख्या में और इजाफा हुआ है. कई देशों ने आधिकारिक तौर पर इस मिसाइल को खरीदने में रुचि दिखाई है.

फिलहाल फिलीपींस के साथ हुआ है पक्का सौदा

फिलीपींस वह पहला देश है जिसने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने का पक्का समझौता किया है. यह डील लगभग 375 मिलियन डॉलर की है और अप्रैल 2024 में इसकी पहली बैटरी फिलीपींस को सौंप दी गई थी.

इन देशों ने भी दिखाई है दिलचस्पी

भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) के चेयरपर्सन सैमिर वी. कामत के अनुसार, इंडोनेशिया, वियतनाम, मलेशिया जैसे कई दक्षिण-एशियाई देशों ने ब्रह्मोस में रुचि दिखाई है.

इंडोनेशिया: जनवरी 2025 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबवो सुबियांतो की भारत यात्रा के दौरान करीब 450 मिलियन डॉलर की ब्रह्मोस डील पर सहमति बनी.

वियतनाम: अपनी नौसेना और सेना को मजबूत करने के उद्देश्य से वियतनाम भारत के साथ लगभग 700 मिलियन डॉलर की डील पर बातचीत कर रहा है.

मलेशिया: मलेशिया ने भी ब्रह्मोस खरीदने में रुचि जताई है.

अन्य देश: थाईलैंड, सिंगापुर और ब्रुनेई जैसे देश भी इस प्रणाली में रुचि रखते हैं.

मध्य पूर्व और दक्षिण अमेरिका के देश भी लाइन में

मध्य पूर्व के कई देशों जैसे कि मिस्र, सऊदी अरब, यूएई, कतर और ओमान ने भी इस मिसाइल सिस्टम में दिलचस्पी दिखाई है. वहीं, दक्षिण अमेरिका के ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना और वेनेजुएला जैसे देश भी ब्रह्मोस को अपनी सैन्य शक्ति में शामिल करने की योजना बना रहे हैं.