नई दिल्ली: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मंगलवार को एक बड़ी वारदात होने से पहले ही टल गई, जब एक संदिग्ध आत्मघाती हमलावर अपने शरीर पर बंधे विस्फोटकों के समय से पहले फटने से मौके पर ही मारा गया. यह घटना बन्नू जिले के सुरानी इलाके में दोआ घोड़ा पुल के पास हुई.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हमलावर मोटरसाइकिल से किसी खास जगह को निशाना बनाकर हमला करने जा रहा था, लेकिन अचानक हुए विस्फोट के कारण वह अपने लक्ष्य तक पहुंच नहीं पाया. इस वजह से किसी भी आम नागरिक या संपत्ति का नुकसान नहीं हुआ.
पुलिस ने मृत हमलावर की पहचान जियाद उर्फ हमजा के रूप में की है. शुरुआती जांच में सामने आया है कि वह बन्नू जिले में पुलिस और आतंकवाद निरोधक विभाग (CTD) पर हुए कई हमलों का मास्टरमाइंड था. अधिकारियों के अनुसार, जियाद आईईडी यानी इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस बनाने में माहिर था और हाल के महीनों में कई आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ा हुआ था. उसके साथ मौजूद एक अन्य साथी विस्फोट में घायल होने के बावजूद मौके से फरार हो गया. पुलिस ने फरार आरोपी की तलाश में इलाके में व्यापक सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है.
घटनास्थल की तलाशी के दौरान सुरक्षा बलों को एक पिस्तौल, गोला-बारूद और बम बनाने का सामग्री मिला है, जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि आरोपी बड़े पैमाने पर हमला करने की योजना बना रहे थे. पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि हमलावर किस समूह से जुड़े थे और उनका निशाना क्या था.
इस नाकाम हमले ने पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और बढ़ा दी है, क्योंकि यह घटना उस आत्मघाती हमले के कुछ ही दिनों बाद हुई है जिसमें इस्लामाबाद में 12 लोगों की मौत हो गई थी. हालिया हमलों को देखते हुए पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने कड़े शब्दों में कहा कि देश को युद्ध जैसी स्थिति में धकेला जा रहा है.
उन्होंने दावा किया कि कई आतंकी अफगानिस्तान की जमीन से गतिविधियां चला रहे हैं और यदि काबुल प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करता, तो पाकिस्तान पूरी ताकत के साथ जवाब देने का अधिकार रखता है.
हालांकि, अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के इन आरोपों का स्पष्ट रूप से खंडन किया है और किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है. फिलहाल सुरक्षा बल मामले की जांच कर रहे हैं और फरार हमलावर की तलाश जारी है. अधिकारियों का कहना है कि समय से पहले हुए विस्फोट ने एक संभावित बड़े हमले को रोक दिया, जो आम जनता और सुरक्षा बलों के लिए गंभीर खतरा बन सकता था.