इजरायल ने शनिवार (21 जून) को ईरान के खिलाफ संभावित लंबे युद्ध की तैयारी की बात कही, जब उसकी सेना ने इस्फहान में ईरानी परमाणु सुविधा पर रातोंरात हमला किया. इस हमले में तेहरान के तीन वरिष्ठ कमांडरों को निशाना बनाकर मार गिराया गया. इस्फहान के उप-गवर्नर (सुरक्षा मामलों) अकबर सालेही ने पुष्टि की कि इजरायली हमलों से परमाणु अनुसंधान सुविधा को नुकसान पहुंचा, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ, जैसा कि एसोसिएटेड प्रेस ने बताया. यह इस्फहान पर दूसरा हमला था. पिछले सप्ताह संघर्ष की शुरुआत में इजरायली सेना ने इस संवर्धन स्थल पर पहला हमला किया था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल ने कहा कि उसके हमलों का उद्देश्य ईरान की परमाणु क्षमताओं को नष्ट करना है. इस बीच, ईरान के दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में कई जोरदार विस्फोटों की खबरें आईं, क्योंकि इजरायली सेना ने नए हमले शुरू किए. इजरायली सेना के मुख्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने कहा कि चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल इयाल ज़मीर ने सेना को “लंबे अभियान” के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया. दूसरी ओर, ईरान ने इजरायल पर ड्रोन और मिसाइलों की नई लहर शुरू की. मैगेन डेविड एडोम बचाव सेवाओं ने बताया कि एक ड्रोन ने उत्तरी इजरायल में दो मंजिला इमारत को निशाना बनाया.
इजरायल की रक्षा और अमेरिका पर चेतावनी
एक इजरायली अधिकारी ने इसे “छोटा हमला” करार देते हुए कहा कि इसे देश की वायु रक्षा प्रणालियों ने काफी हद तक रोक लिया. उन्होंने कहा, “हम उनके लिए इजरायल की ओर हमला करना कठिन बना रहे हैं. फिर भी, मैं कहना चाहता हूं कि ईरानी शासन के पास अभी भी क्षमताएं हैं.” इससे पहले, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने चेतावनी दी कि युद्ध में अमेरिकी सेना की सक्रिय भागीदारी “सभी के लिए बहुत, बहुत खतरनाक होगी.”
हताहतों की संख्या और मानवाधिकार चिंताएं
13 जून को इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु और सैन्य ढांचे पर हमले के साथ शुरू हुए इस संघर्ष में ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या हुई थी. ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि पिछले सप्ताह शुरू हुए हमलों में 400 से अधिक लोग मारे गए और 3,056 घायल हुए. हालांकि, अमेरिका स्थित एक मानवाधिकार कार्यकर्ता एजेंसी ने दावा किया कि ईरान में कम से कम 657 लोग मारे गए हैं, जिनमें 263 नागरिक शामिल हैं.