Iran US Conflict: इजरायल और ईरान के बीच हुए युद्ध में ईरान को भारी नुकसान उठाना पड़ा. उनके लिए यह नुकसान तब और भी ज्यादा बढ़ गया जब अमेरिका ने ईरान पर हमला किया था. हालांकि इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि ईरान के साथ जल्द ही बैठक होने वाली है. हालांकि उनके इस दावे को ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने गुरुवार को गलत ठहराया है.
अब्बास अराघची ने सरकारी टीवी में एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि ईरान की अमेरिका से मिलने की कोई योजना नहीं है. उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप द्वारा किए गए इस दावे का खंडन किया, जिसमें उन्होंने वार्ता के लिए अगले सप्ताह निर्धारित होने की बात कही थी.
अराघची ने कहा कि तेहरान अभी भी मूल्यांकन कर रहा है कि यह वार्ता संभव है या नहीं है. उन्होंने कहा कि तेहरान और वाशिंगटन के साथ नए सिरे से वार्ता उसके हितों की पूर्ति करेगी या नहीं यह मूल्यांकन के बाद तय किया जाएगा. इससे पहले भी पिछले पांच दौर की वार्ताएं बीच में ही समाप्त हो गई थीं. अमेरिका और इजरायल ने ईरान की परमाणु केंद्रों पर हमला किया था, जिसके बाद यह सभी वार्ताएं टल नहीं हो पाई. हालांकि अमेरिका ने इस हमले के बाद दावा किया था कि हमलों का उद्देश्य ईरान की परमाणु हथियारों की क्षमता को सीमित करना था. वहीं ईरान का मानना है कि उसका यह कार्यक्रम पूरी तरह से नागरिकों के हित में हैं. ईरान के विदेश मंत्री ने मीडिया से बात करते हुए इस बात को स्वीकारा है कि हमलों से काफी नुकसान हुआ है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को हेग में नाटो शिखर सम्मेलन के दौरान कहा था कि अमेरिका और ईरान अगले सप्ताह मिलेंगे. उन्होंने ईरानी परमाणु स्थलों पर पेंटागन के हालिया हमलों को सफल बताया. हालांकि बाद में गुरुवार को व्हाइट हाउस अपने इस दावे को वापस ले लिया. ईरान और इजरायल के बीच लगभग 12 दिनों तक युद्ध चला. इस दौरान दोनों देशों ने एक दूसरे पर बम बरसाए. इसी बीच पहले डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच युद्ध रुकवाने की कोशिश की लेकिन फिर अगले ही दिन ईरान पर हमला बोल दिया. हालांकि ईरान ने भी अमेरिका के इस हमले का जवाब कतर में उनके बेस पर हमला कर के दिया. लेकिन बाद में अमेरिका ने युद्धविराम का ऐलान कर दिया. हालांकि शुरुआत में ईरान ने इस बात को नहीं माना, लेकिन बाद में वह भी राजी हो गया. इस युद्ध के बाद भी इन देशों के बीच तनाव का माहौल है.