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India Daily

Israel Iran Conflict: इजरायल से तनाव के बीच ईरान ने इस्माइल फेकरी को सूली पर लटकाया, मोसाद के लिए करता था काम

यह घटना ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों और क्षेत्रीय तनावों को उजागर करती है. फाखरी का मामला दोनों देशों के बीच खुफिया युद्ध की जटिलता को दर्शाता है, जो वैश्विक मंच पर चर्चा का विषय बना हुआ है.

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Edited By: Mayank Tiwari
ईरान ने इजरायल के जासूस को दी फांसी
Courtesy: Social Media

 इजरायल और ईरान के बीच जारी युद्ध से मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ गया है. इस बीच ईरान की अर्ध-आधिकारिक फार्स न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरानी अधिकारियों ने इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए जासूसी करने के आरोप में एक व्यक्ति को फांसी दे दी. इस्माइल फाखरी के रूप में पहचाने गए इस व्यक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के खिलाफ काम करने का दोषी पाया गया, जिसके बाद उसे फांसी की सजा दी गई.

जासूसी के आरोप और सजा

फार्स न्यूज ने बताया कि फाखरी को “सियोनिस्ट शासन के लिए जासूसी” करने का दोषी ठहराया गया, जो ईरानी अधिकारी इजरायल को संदर्भित करने के लिए इस्तेमाल करते हैं. ईरान के दंड संहिता के तहत, जो विदेशी खुफिया सेवाओं से संबंधित जासूसी के दोषियों के लिए मृत्युदंड की अनुमति देती है, यह सजा दी गई. फाखरी की गिरफ्तारी, मुकदमे की कार्यवाही, या विशिष्ट आरोपों के बारे में कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं दी गई. ईरानी मीडिया ऐतिहासिक रूप से विदेशी सरकारों या खुफिया संगठनों के साथ सहयोग के आरोपों वाले मामलों में ऐसी जानकारी को सीमित रखता है.

ईरान-इजरायल के बीच तनाव

यह मामला ईरान और इजरायल के बीच चल रहे तनाव को दर्शाता है, जिनकी खुफिया एजेंसियां क्षेत्र में लंबे समय से गुप्त अभियान और प्रतिगुप्तचर गतिविधियों में शामिल हैं. ईरान ने पहले इजरायल पर अपनी जमीन पर तोड़फोड़ और टारगेटेड हत्याओं, विशेष रूप से परमाणु और सैन्य कार्यक्रमों से जुड़े व्यक्तियों के खिलाफ, का आरोप लगाया है.

मानवाधिकार संगठनों की आलोचना

ईरान में जासूसी के लिए फांसी की सजा को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने अतीत में आलोचना की है, विशेष रूप से पारदर्शिता, कानूनी सलाह तक पहुंच, और उचित कानूनी प्रक्रिया के मानकों को लेकर. हालांकि, ईरानी अधिकारी इन कार्रवाइयों को राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए आवश्यक मानते हैं. फार्स न्यूज की रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि फांसी कब या कहां दी गई, न ही इसमें ईरान की न्यायपालिका का कोई आधिकारिक बयान शामिल था.