India Iran Ties: भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर समझौता हो गया है. चाबहार भारत का पहला विदेशी बंदरगाह होगा. इस डील के फाइनल होने से पहले तक दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर गतिरोध कायम था. इस डील को भारत के लिए बड़ी जीत और पाकिस्तान के लिए एक बड़ी हार के तौर पर देखा जा रहा है. चाबहार बंदरगाह समझौते को अंतिम रूप देने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कई बार ईरान का दौरा भी किया था.
चाबहार बंदरगाह को लेकर भारत की सबसे बड़ी चिंता ईरान पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंध थे. भारत ने इस समझौते को अंतिम रूप देने से पहले वॉशिंगटन को भी विश्वास में लिया है. इस बंदरगाह के माध्यम से भारत यूरोपीय देशों और मध्य एशियाई देशों को अपना सामान कम समय में पहुंचा जा सकेगा. इस पोर्ट को ग्वादर बंदरगाह का तोड़ भी माना जा रहा है जिसे चीन ने बनाया है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत और ईरान चाबहार बंदरगाह को लेकर अंतिम समझौते पर जा पहुंचे हैं. इस समझौते का उद्देश्य मूल अनुबंध की जगह लेना है. यह पोर्ट पर शाहिद बेहेश्टी टर्मिनल पर भारत के संचालन को देखता है. पुराने समझौते के अंतर्गत हर साल रिन्यूवल की जरूरत होती है. नया समझौता अगले 10 सालों तक वैध होगा और इसे आगे भी बढ़ाया जा सकेगा. यह भारत के लिए बड़ी भूराजनीतिक जीत मानी जा रही है.
भारत क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए इस पोर्ट के विकास पर खासा जोर दे रहा है. विदेश मंत्री जयशंकर ने साल 2021 में ताशकंद एक कनेक्टिविटी समिट में चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान सहित क्षेत्र के लिए प्रमुख केंद्र के रूप में चिन्हित किया था. इस पोर्ट को INSTC प्रोजेक्ट के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता है. अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, रूस, सेंट्रल एशिया और यूरोप के मध्य माल ढुलाई के लिए मल्टी मोड ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट है. भारत इस टर्मिनल में 85 मिलियन डॉलर के सहयोग का वादा कर चुका है और इसके लिए जरूरी सामान की भी आपूर्ति कराई है.