Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार से पूरी दुनिया वाकिफ है. जो हिंदू प्रदर्शनकारियों की हिंसा से बचे हैं उन्हें धमकी भरे कॉल आ रहे हैं. उनसे कहा जा रहा है कि या तो प्रोटेक्शन मनी दो या फिर देश छोड़ दो. बांग्लादेश का एक छात्र जो स्टूडेंट वीजा पर भारत आकर महाराष्ट्र के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. वह इस समय ढाका में नौकरी करता है. उसके माता पिता उससे 250 किलोमीटर दूर चटगाँव में रहते हैं. पिछले हफ्ते उसके माता-पिता को धमकी भरी फोन कॉल्स आईं, जिसमें कहा गया कि या तो देश छोड़ दो अगर देश नहीं छोड़ना है तो प्रोटेक्शन मनी दो.
इस खबर में हम उस व्यक्ति का बदला हुआ नाम अनिमेश इस्तेमाल कर रह हैं. अनिमेंश ने बताया- मेरे माता-पिता बांग्लादेश के बंदरगाह शहर की एक कॉलोनी में रहते हैं, जहाँ अन्य हिंदू भी रहते हैं.
अनिमेश ने बताया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के घरों की पहाचन की जा रही है. घर के मालिकों से सिक्योरिटी यानी प्रोटेक्शन मनी के रूप में 5 लाख बांग्लादेशी रुपये की मांग कर रहे हैं.
अनिमेंश ने बताय कि उनके पिता को कॉल करने वाले ने खुद को एक इस्लामी समूह का सदस्य बताते हुए सख्त लहजे में कहा, 'अगर आप सुरक्षा राशि नहीं दे सकते तो देश छोड़ दो या मौत का सामना करो. हमें पैसे तैयार रखने के लिए कहा गया था. इलाके के अन्य लोगों को भी इसी तरह के कॉल आए हैं.
अनिमेश ने आगे बताया- 'ढाका में नौकरी मिलने के बाद में यहां चला आया था. लेकिन मेरे माता-पिता और रिश्तेदार अपने मूल निवास चटगांव में रहते हैं. प्रदर्शनकारियों की भीड़ ग्रामीण बांग्लादेश में हिंदुओं के घरों को खोज खोज कर उन्हें मार रही है. और लूटपाट कर रही है. हालांकि, शहरों में रहने वाले लोग सुरक्षित हैं. फिरौती के कॉल ने हमें हैरान और चिंतित कर दिया है."
धमकी देने वाले हिंदुओं को फोन करके कह रहे हैं कि बांग्लादेश उनके लिए नहीं है. अगर उन्हें यहां रहना है तो सिक्योरिटी मनी (प्रोटेक्शन मनी) देना होगा. अनिमेश ने आगे बताया कि फिरौती लेने के लिए अभी तक उनके गांव में कोई नहीं आया है लेकिन गांव वाले डरे हुए हैं.
अनिमेश ने बताया कि बांग्लादेश के शहरों में रहने वाले हिंदू और अन्य अल्पसंख्य समुदाय के लोग भले ही सड़कों पर घूम रहे हैं. लेकिन उनके चेहरे पर तनाव साफ देखा जा सकता है. हिंदू, बौद्ध और ईसाई कम प्रोफ़ाइल रखते हैं और सार्वजनिक रूप से राजनीतिक उथल-पुथल पर चर्चा करने से बचते हैं. अगर हिंदुस्तान ने मेरे लॉन्ग टर्म वीजा को अगर जल्द अप्रूव कर दिया होता तो मैं भी भारत में अपने चाचा के साथ रह रहे होते. मेरे चााच हिंदुस्तान में ही रहते हैं. 1971 में वह भारत के लिए पलायन कर गए थे.
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