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चीनी जासूसों से दुनिया परेशान, जानिए कितने खतरनाक हैं ड्रैगन के एजेंट्स

Chinese Secret Agents: कुछ दिनों पहले ही चीन के एक पूर्व एजेंट ने कुछ ऐसे खुलासे किए थे जिससे दुनिया की इंटेलिजेंस एजेंसियां हैरान रह गई थीं. पहले भी दुनियाभर के देश चीनी सीक्रेट एजेंट्स ही हरकतों से परेशान रहे हैं.

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Edited By: India Daily Live
Chinese Agents
Courtesy: Social Media

वैसे तो हर देश के पास अपनी इंटेलिजेंस एजेंसी होती है. यह एजेंसी पता लगाती रहती है कि कहीं उसके देश की सुरक्षा को लेकर कोई खतरा तो नहीं है. यह भी जानने की कोशिश की जाती है कि दुश्मन देश किसी तरह की साजिश तो नहीं कर रहा है. ये इंटेलिजेंस एजेंसियां दुनिया में हो रहे सभी तरह के बदलावों पर नजर रखती हैं. रूस, अमेरिका, जापान, कनाडा समेत कई देशों का अपना तेज तर्रार खुफिया दस्ता है. चीन के पास भी अपना खुफिया दस्ता है. जिसका नाम मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (MSS) है. हाल में एक पूर्व एजेंट ने खुलासा किया था कि ऑस्ट्रेलिया में भी चीन के जासूस मौजूद रहे हैं और खतरनाक तरीके से काम करते रहे हैं.

चीन के जासूस बाकी देशों के मुकाबले अलग तरीके से काम करते हैं. ये जासूस किसी एजेंसी के लिए काम न करके अकेले काम करते हैं. ये आमतौर पर नौकरी के मकसद से दूसरे देश जाते हैं. वहां से खुफियां जानकारी खोजते हैं और चीन की सरकार को खबर देते हैं. चीन की सरकार उनकी पहचान छिपाने में उनकी मदद करती है. 

जासूसी के लिए रिसेप्शनिस्ट तक बन जाते हैं चीनी एजेंट

चीन की जासूसों का काम करने का तरीका बेहद सीक्रेट होता है. इसके चलते चीन की जासूसी गतिविधियों का पता लगाना मुश्किल होता है. इनका उद्देश्य अपने देश की कम्युनिस्ट पार्टी के हितों की रक्षा करना और अपने देश की सत्ता को मजबूत बनाना है. चीनी जासूस अपने काम में पश्चिमी टेक्नोलॉजी को अपनाते हैं और इस टेक्नोलॉजी की जानकारी चीन की सरकारी कंपनियों को देते हैं जबकि ऐसा दूसरे देश के जासूस नहीं करते हैं. इसके अलावा चीन के ये जासूस हर तरह के पेशे से जुड़े रहते हैं. वे पत्रकार, डॉक्टर, वैज्ञानिक यहां तक की रिसेप्शन में काम करने वाले भी हो सकते हैं. 

चीन के लिए जासूसी केवल चीनी ही नहीं करते बल्कि विदेशी भी करते हैं. दूसरे देश के लोगों को बड़ी रकम देकर उनसे जानकारी लेते हैं. इसके अलावा, विदेश में काम करने वाली चीनी कंपनियां भी अपनी सरकार के लिए जासूसी करती हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर कंपनी की एक गुप्त सेल होती है. जो कम्युनिस्ट पार्टी को जानकारियां देती है कि कहां क्या चल रहा है.

बड़े-बड़े देश भी परेशान

 चीन की जासूसी से अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूज़ीलैंड की खुफिया एजेंसियां भी परेशान हैं. पिछले साल अपनी बैठक में इन्होनें चीनी जासूसों के बढ़ते प्रभाव को लेकर चर्चा की. उन्होनें कहा कि जासूसी के लिए चीन के पास बड़े पैमाने पर संसाधन हैं. दुनियाभर में करीब 6 लाख लोग चीन के लिए खुफिया और सुरक्षा पर काम करते हैं. जो दुनिया के किसी भी दूसरे देश के मुकाबले ज्यादा है.

कुल मिलाकर चीन जासूसी के लिए सिर्फ अपनी एजेंसियों पर ही निर्भर नहीं रहता. इसके लिए वह अपने समाज के जाने-माने चेहरों का भी इस्तेमाल करता है. जासूसी के साथ ही चीन अपनी नीतियों के पक्ष में भी माहौल बनाता है.