चीन की अगुवाई में 30 से अधिक देशों, जिनमें पाकिस्तान, इंडोनेशिया, बेलारूस और क्यूबा शामिल हैं, उन्होंने हांगकांग में "अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन की स्थापना संधि" पर हस्ताक्षर किए. इस संधि के साथ ये देश इस नए वैश्विक संगठन के संस्थापक सदस्य बन गए.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हांगकांग में आयोजित समारोह में संयुक्त राष्ट्र सहित लगभग 50 अन्य देशों और 20 संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इस संगठन को विश्व में मध्यस्थता के माध्यम से विवादों को सुलझाने वाला पहला अंतर-सरकारी कानूनी निकाय बताया जा रहा है.
जानिए चीन का क्या नजरिया और मंशा!
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इस अवसर पर कहा, "चीन लंबे समय से आपसी समझ की भावना से मतभेदों को निपटाने और बातचीत के माध्यम से आम सहमति बनाने की वकालत करता रहा है." उन्होंने आगे कहा, "इस निकाय का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान को बढ़ावा देना और अधिक सामंजस्यपूर्ण वैश्विक संबंध बनाना है." वांग यी ने जोर देकर कहा कि यह संगठन राष्ट्रों के बीच संघर्षों को सुलझाने के लिए चीनी समाधान प्रदान करेगा.
हांगकांग की भूमिका और भविष्य की योजनाएं
हांगकांग के नेता जॉन ली ने बताया, "यह संगठन इस साल के अंत तक अपना काम शुरू कर सकता है." बीजिंग ने इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम करार दिया है. यह नया मंच वैश्विक मध्यस्थता के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू करने की दिशा में अग्रसर है.