menu-icon
India Daily

'ना हम युद्ध की साजिश रचते हैं, ना ही शामिल होते हैं,' ट्रंप की टैरिफ मांग पर चीन का जवाबी पलटवार

वाशिंगटन ने पहले ही रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर भारी टैरिफ लगा दिया है. हालांकि अभी तक बीजिंग को निशाना नहीं बनाया गया है, जो खुद को मास्को का "सदाबहार" रणनीतिक सहयोगी मानता है.

auth-image
Edited By: Mayank Tiwari
Chinese President Xi Jinping and US President Donald Trump
Courtesy: X

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नाटो देशों से रूसी तेल खरीदारों पर टैरिफ लगाने की अपील के बाद, चीन ने शनिवार को वाशिंगटन को कड़ा संदेश दिया है. इधर, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन न तो युद्धों की साजिश रचता है और न ही उनमें शामिल होता है. यह बयान ट्रंप के नाटो देशों से रूस पर दबाव बढ़ाने और मॉस्को के सबसे बड़े तेल खरीदारों में से एक, चीन पर 100% तक प्रतिबंध लगाने की अपील के कुछ घंटों बाद आया.

अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, स्लोवेनिया की राजकीय यात्रा के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि युद्ध से समस्याएं हल नहीं हो सकतीं, और प्रतिबंध केवल उन्हें और जटिल बनाते हैं. यह बयान ट्रम्प के नाटो को रूसी तेल खरीद रोकने और चीन पर टैरिफ लगाने की अपील के जवाब में था. वांग यी ने जोर दिया कि चीन शांति और स्थिरता को बढ़ावा देता है, न कि युद्धों को.

ट्रंप का नाटो को खुला पत्र

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने नाटो सदस्यों और "विश्व" को संबोधित करते हुए एक पत्र में लिखा, "मैं रूस पर बड़े प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हूँ, जब सभी नाटो देश सहमत हो जाएँगे और ऐसा करना शुरू कर देंगे, और जब सभी नाटो देश रूस से तेल खरीदना बंद कर देंगे. जैसा कि आप जानते हैं, नाटो की जीत की प्रतिबद्धता 100 प्रतिशत से भी कम रही है, और कुछ देशों द्वारा रूसी तेल की खरीद चौंकाने वाली रही है! यह रूस के साथ आपकी बातचीत की स्थिति और सौदेबाजी की शक्ति को बहुत कमज़ोर करता है."

मैं भी आपके साथ जाने के लिए तैयार हूँ- ट्रंप

ट्रंप ने गठबंधन से मिलकर काम करने का आग्रह किया और कहा कि अगर नाटो सदस्य प्रतिबंधों पर एकमत हो जाते हैं तो वह "जाने" के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा, "खैर, मैं भी आपके साथ जाने के लिए तैयार हूँ. बस बताइए कब?" हालांकि, वाशिंगटन ने पहले ही रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर भारी टैरिफ लगा दिया है , हालांकि अभी तक बीजिंग को निशाना नहीं बनाया गया है, जो खुद को मास्को का "सदाबहार" रणनीतिक सहयोगी मानता है.

जी7 पर अमेरिका का दबाव

इसके अलावा, अमेरिका जी-7 देशों - जिनमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं, जिनमें से अधिकांश नाटो के सदस्य भी हैं. उनसे आग्रह कर रहा है कि वे रूसी तेल के प्रमुख खरीदार भारत और चीन पर टैरिफ लगाकर रूस पर दबाव बढ़ाएं. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने जी-7 वित्त मंत्रियों से कहा, "केवल एक एकीकृत प्रयास से, जो पुतिन की युद्ध मशीन को वित्तपोषित करने वाले राजस्व को स्रोत पर ही रोक देगा, हम निरर्थक हत्या को रोकने के लिए पर्याप्त आर्थिक दबाव डालने में सक्षम होंगे. यह कदम रूस की युद्ध मशीनरी को वित्तीय संसाधनों से वंचित करने की रणनीति का हिस्सा है.

अमेरिका-चीन के बीच बातचीत

इस सप्ताह की शुरुआत में, वांग यी ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो से फोन पर बात की। चीनी विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, उन्होंने दोनों देशों से "अपने मार्ग से भटके बिना और गति खोए बिना" आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया.